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उत्पादन तो बढ़ा, पर रकबा घटा

पूर्वांचल के गन्ना बहुल इलाके कुशीनगर में गन्ने का उत्पादन तो बढ़ रहा है पर रकबा घटता जा रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है जिससे गन्ने की मिठास अब लोगों को कड़वी लगने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 11:39 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:39 PM (IST)
उत्पादन तो बढ़ा, पर रकबा घटा
उत्पादन तो बढ़ा, पर रकबा घटा

कुशीनगर : पूर्वांचल के गन्ना बहुल इलाके कुशीनगर में गन्ने का उत्पादन तो बढ़ रहा है, पर रकबा घटता जा रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है, जिससे गन्ने की मिठास अब लोगों को कड़वी लगने लगी है। किसानों को चालू सत्र के पांच चीनी मिलों पर बकाया 28499.75 लाख रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो पाया है। हीलाहवाली से दिनोंदिन घट रहे रकबा ने चीनी के स्वाद को कड़वा बना दिया है। 2007-08 में 101447 हेक्टेयर गन्ने की बोआई हुई, लेकिन उत्पादन 546.92 लाख क्विटल हुआ, जो लगातार घटते-घटते 2018-19 में 93802 हेक्टेयर पहुंच गई, तो 740 लाख क्विटल गन्ने का उत्पादन हुआ। बीते वर्ष के सापेक्ष पेराई सत्र में 17415 हेक्टेयर गन्ना उत्पादन में इजाफा हुआ है। भले ही उत्पादन बढ़ा है, लेकिन रकबे में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।

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उत्पादन रकबा वर्ष हेक्टेयर - उत्पादन (लाख कुंतल)

2007-08 101447 546.92

2008-09 79686 412.62

2009-10 67964 329.62

2010-11 79007 416.65

2011-12 81690 420.35

2012-13 92214 479.85

2013-14 86438 516.62

2014-15 80631 485.10

2015-16 73602 461.22

2016-17 67802 453.22

2017-18 76387 432.45

2018-19 93802 740

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'शासन से मिले निर्देश के क्रम में गन्ने का उत्पादन का लक्ष्य अस्सी फीसद करने का रखा गया है, इसे अगले सत्र तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए किसानों को शरदकालीन व बसंतकालीन बोआई में उत्पादन बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। अस्वीकृत प्रजाति के गन्ने की बोआई न करने की सलाह दी जा रही है। सामान्य व अर्ली वेराइटी के गन्ने की बोआई करने वाले किसानों को विभाग अनुदान भी दे रहा है।

वेद प्रकाश सिंह, डीसीओ कुशीनगर

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