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पुलिस ने कुतुबुद्दीन के करीबियों को उठाया

मस्जिद में हुए विस्फोट के मामले में मुख्य आरोपित हाजी कुतुबुद्दीन के करीबियों पर पुलिस नजर रख रही है। उसके दो करीबियों को बुधवार रात में ही पुलिस हिरासत में भी ले लिया था। उनसे पूछताछ की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 12:03 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:06 AM (IST)
पुलिस ने कुतुबुद्दीन के करीबियों को उठाया
पुलिस ने कुतुबुद्दीन के करीबियों को उठाया

कुशीनगर : मस्जिद में हुए विस्फोट के मामले में मुख्य आरोपित हाजी कुतुबुद्दीन के करीबियों पर पुलिस नजर रख रही है। उसके दो करीबियों को बुधवार रात में ही पुलिस हिरासत में भी ले लिया था। उनसे पूछताछ की जा रही है।

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घटना के बाद से ही गांव बैरागीपट्टी को लेकर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां बेहद सतर्क हैं। पूछताछ में गिरफ्तार मौलाना अजीमुद्दीन से मिली जानकारी के बाद कुतुबुद्दीन को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। खुफिया एजेंसियों के रडार पर कुतुबुद्दीन के ऐसे करीबी भी हैं, जो नियमित रूप से उससे संपर्क में रहते थे। बताते हैं कि गांव में रह रहे समुदाय के अधिकतर युवक कुतुबुद्दीन से जुड़े थे। गांव आने पर वह न केवल उनके साथ काफी वक्त बिताता था, बल्कि उनको खिलाने-पिलाने पर भी काफी खर्च करता था।

खुफिया एजेंसियों का शक है कि वक्त आने पर उपयोग करने के लिए ही कुतुबुद्दीन उन युवकों को अपने जाल में फंसाए हुआ था। इन युवकों में से कुछ के उसकी साजिश में शामिल होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। इसी संदेह में बुधवार की रात पुलिस ने गांव में हबीब और रसूल नाम के दो युवकों को हिरासत में ले लिया है। दोनों की गतिविधियां संदिग्ध बताई जा रहीं। हिरासत में लिया गया हबीब पूर्व में कुतुबुद्दीन के विरुद्ध दर्ज एक मुकदमे में सह अभियुक्त भी है।

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खंगाले जा रहे हाजी के घर मिले दस्तावेज

तुर्कपट्टी : स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों संग एटीएस गोरखपुर की टीम ने गुरुवार सुबह बैरागीपट्टी पहुंच हाजी कुतुबुद्दीन के घर की बारीक जांच-पड़ताल की। इस दौरान उसके घर से कई दस्तावेज मिले, जो उर्दू में थे। दस्तावेजों को कब्जे में ले टीम थाने ले आई। इन दस्तावेजों को पढ़ने के लिए पुलिस ने स्थानीय स्तर पर अनुवादक से संपर्क कर मदद मांगी। थाने बुलाए गए अनुवादक ने दस्तावेजों का एक-एक कर अनुवाद कर टीम को बताया। यह सबकुछ बेहद गुप्त तरीके से हुआ। दस्तावेजों में हुए उल्लेख की जानकारी सार्वजनिक करने से सुरक्षा एजेंसियां परहेज करती दिखीं।


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