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अनुदान से निपटाये काम, नहीं बने इज्जतघर

जिले में शौचालय निर्माण की स्थिति जिम्मेदारों की लापरवाही से आधी-अधूरी है। कई गांवों में अनुदान राशि लेकर लाभार्थियों ने शौचालय बनवाया ही नहीं बल्कि उससे व्यक्तिगत कार्य निपटाए। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले छह महीने में जांच में पाया गया कि लगभग 500 शौचालय नहीं बने हैं। जिसमें साठ फीसद अधूरे हैं तो 40 फीसद का पैसा प्रधान व सचिव तथा लाभार्थी मिल कर खा गए। यही कारण रहा कि 13 प्रधानों का वित्तीय अधिकार छिना तो सचिवों को स्पष्टीकरण देना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:40 PM (IST)
अनुदान से निपटाये काम, नहीं बने इज्जतघर

कुशीनगर : जिले में शौचालय निर्माण की स्थिति जिम्मेदारों की लापरवाही से आधी-अधूरी है। कई गांवों में अनुदान राशि लेकर लाभार्थियों ने शौचालय बनवाया ही नहीं, बल्कि उससे व्यक्तिगत कार्य निपटाए। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले छह महीने में जांच में पाया गया कि लगभग 500 शौचालय नहीं बने हैं। जिसमें साठ फीसद अधूरे हैं, तो 40 फीसद का पैसा प्रधान व सचिव तथा लाभार्थी मिल कर खा गए। यही कारण रहा कि 13 प्रधानों का वित्तीय अधिकार छिना तो सचिवों को स्पष्टीकरण देना पड़ा। इस महीने छह प्रधानों के शौचालय निर्माण कार्य पूरा कराने के बाद बहाली हुई। अभी सात प्रधान निलंबित चल रहे हैं। इससे साथ जाहिर है कि शौचालय का पैसा बिचौलिए खा रहे हैं।

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ओडीएफ घोषित हुए सभी गांव

-दो अक्टूबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोषणा के साथ ही पंचायतीराज विभाग ने जिले के 1049 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित कर दिया है। विभाग का दावा है कि दो अक्टूबर 2014 से अब कुल चार लाख 15 हजार 77 सौ आठ शौचालय बनवाए गए, तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक कर शौचालय प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया गया।

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यह है शौचालयों की हालत

-गांवों में भ्रमण के दौरान शौचालयों की हालत हकीकत बयां करने के लिए काफी है। विशुनपुरा ब्लाक के गांव में पिपरा के टोला मुडमुडवा कागजों में ओडीएफ ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त कर चुका है। इसकी कुल आबादी नौ सौ की है। यहां के प्रधान को अधिकारियों द्वारा मेडल भी दिया जा चुका है। दलित बस्ती की सलिता, पानमती, रामदरश, शेषनाथ, नरसिंह आदि के शौचालयों में किसी में दीवार नहीं, तो कहीं सीट टूटा है। कुछ का तो फाटक ही टूटा है। मजबूरन लोगों को खुले में शौच जाना पड़ता है। दोनों पैरों से दिव्यांग दलित शारदा को शौचालय ध्वस्त हो चुका है। ज्ञान्ती व नरसिंह आदि का कहना है कि एक तरफ शौचालय बन रहा है, तो दूसरी ओर टूटता जा रहा है। सदर ब्लाक के जंगल जगदीशपुर निवासिनी मीरा यादव के शौचालय का टंकी बने छह महीने हो गए, लेकिन न ढक्कन बना और न ही शौचालय की सुविधा मिली।

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जनपद ओडीएफ घोषित हो चुका है। शौचालय न बनवाने वाले 13 प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। अधूरे शौचालय के निर्माण लगभग पूर्ण होने के कगार पर है। अगर कहीं से कोई गड़बड़ी की शिकायत आती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।

राघवेंद्र कुमार द्विवेदी, जिला पंचायतराज अधिकारी, कुशीनगर


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