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बुद्ध पर लिखने की जताई थी तमन्ना

प्रख्यात साहित्यकार डा. नामवर ¨सह का कुशीनगर से गहरा नाता रहा। जागरण संवादी कार्यक्रम में गोरखपुर आने के दौरान वर्ष 2007 में यहां पहुंचे तो बुद्ध के दर्शन के बाद मानो उनमें खो से गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 11:41 PM (IST)
बुद्ध पर लिखने की जताई थी तमन्ना
बुद्ध पर लिखने की जताई थी तमन्ना

कुशीनगर: प्रख्यात साहित्यकार डा. नामवर ¨सह का कुशीनगर से गहरा नाता रहा। जागरण संवादी कार्यक्रम में गोरखपुर आने के दौरान वर्ष 2007 में यहां पहुंचे तो बुद्ध के दर्शन के बाद मानो उनमें खो से गए। पूरे तीन घंटे तक मौन रहने के बाद उन्होंने कहा कि साहित्य में बहुत कुछ लिखा, अब बुद्ध पर लिखने की इच्छा है। उनकी यह इच्छा पूरी हुई कि नहीं यह तो नहीं पता, लेकिन जिस तरह बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर इस महान साहित्यकार के चेहरे का भाव छलका था, मानो उन्होंने बुद्ध के शांति, अ¨हसा, करुणा व मैत्री के संदेश को ओढ़ लिया हो। महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध से अभिभूत यह महान साहित्यकार मानो ध्यान की मुद्रा में हों और बुद्ध से साक्षत्कार हो रहा हो। इसका प्रभाव भी ऐसा कि मौन टूटा तो बुद्ध पर कुछ करने की इच्छा जताई। यहां की शांति भी इस कदर भाई कि यहां तक कहा कि कुशीनगर से जाने का मन नहीं कर रहा। बुद्ध और उनकी महापरिनिर्वाण स्थली में बड़ा आकर्षण व प्रभावित करने वाला संदेश है। उन्होंने थाई बुद्ध विहार की एक विशेष किस्म की चाय पी। वह चाय भी उनको ऐसी भा गई कि यहां से जाने के बाद उन्होंने आग्रह कर चाय को अपने घर मंगवाया। उनके निधन के बाद बुद्ध और कुशीनगर से उनके भावनात्मक लगाव की तस्वीरें जेहन में ¨जदा हो उठीं।

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