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राम को जानने से पहले सनातन धर्म और संस्कृति को जानना होगा

कुशीनगर के सेवरही में भारतीय इतिहास संकलन समिति गोरक्ष प्रांत एवं श्री जगदीश सेवा न्यास गौरीश्रीराम के तत्वावधान में रामायण का ऐतिहासिक एवं दार्शनिक पक्ष विषयक सेमीनार में वक्ताओं ने कहा कि मानव को कैसे जीना है वह राम के चरित्र से सीखें उपनिषदों में मिलता है राम के ब्रह्म होने का साक्ष्य।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 11:44 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 11:44 PM (IST)
राम को जानने से पहले सनातन धर्म और संस्कृति को जानना होगा
राम को जानने से पहले सनातन धर्म और संस्कृति को जानना होगा

कुशीनगर : सेवरही में भारतीय इतिहास संकलन समिति गोरक्ष प्रांत एवं श्री जगदीश सेवा न्यास गौरीश्रीराम के तत्वावधान में रामायण का ऐतिहासिक एवं दार्शनिक पक्ष विषयक सेमीनार का आयोजन हुआ। इसमें कहा गया कि राम को जानने से पहले सनातन धर्म और संस्कृति को जानना होगा। बिना इसके राम के बारे में ठीक से जाना ही नहीं जा सकता है।

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लालबहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि संसार में सत्य अगर कुछ है तो वह राम ही हैं। राम कण कण में, घर घर में, जन जन में व्याप्त हैं। वनवास के पूर्व वह दशरथ के राम थे, लेकिन बाद में वह सबके राम हो गए उन्होंने धरती से आसुरी शक्तियों का नाश कर रामराज्य की स्थापना की।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि दुनिया के 30 भाषाओं में रामकथा की रचना हुई है। राम का इतिहास मानव जीवन में भूत, भविष्य, वर्तमान की रूपरेखा है। राम को जानने के लिए पहले सनातन धर्म और संस्कृति को जानना होगा, क्योंकि राम का मूल भारतीयता का मूल है। सागर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने कहा महात्मा गांधी के स्वराज का तात्पर्य रामराज्य से ही है। अगर शोषण का प्रतीक स्वर्णमयी लंका है तो उस पर विजय प्राप्त करने वाले रामराज्य की अवधारणा प्रत्येक घर, मन और जीवन में आज भी जीवित है।

आइसीपीआर के सदस्य सचिव प्रो. सचिदानन्द मिश्र ने कहा कि राम दर्शन जीवन देने की कला है। आइसीएचआर के प्रो. कुमार रत्नम ने कहा कि अंग्रेजों ने हमारी आध्यात्मिक धरोहरों पर कुठाराघात किया, लेकिन रामायण को कोई हानि नही पहुंचा सके। सागर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने जगदीश पब्लिक स्कूल के निर्माण के संदर्भ में डा. बालमुकुन्द पांडेय के अथक प्रयास की तुलना मदन मोहन मालवीय से की। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि आस्था और विश्वास को चुनौती नहीं दी जा सकती। हमारे श्रद्धा, धर्म, विश्वास में राम रहे हैं, जहां संदेह हुआ, वहां सब कुछ बिखर गया। अगर राम कथा में राम नहीं होते तो शायद हम भी नहीं होते। आचार्य शंकर के उपनिषदों में राम के ब्रह्म होने का साक्ष्य मिलता है।

माननीयों ने भी रखीं अपनी बातें

प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बुद्ध, महावीर जैसे संत मनीषियों का कुशीनगर से गहरा नाता रहा है। बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश चन्द द्विवेदी ने कहा कि राम ही राष्ट्र हैं। राम के बिना इतिहास अधूरा है। मत्स्य राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने कहा कि भगवान राम का चरित्र जीवन को सटीक ढंग से जीने की शिक्षा देता है। पूर्व कुलपति प्रो सुरेंद्र दुबे ने कहा विद्यालय विद्या का भंडार होता है। कार्यक्रम आयोजक आरएसएस इतिहास संकलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा. बालमुकुन्द पांडेय ने आभार प्रकट किया। संचालन भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के निदेशक डा. ओमजी उपाध्याय ने किया।

राजनीतिज्ञों व शिक्षा क्षेत्र से जुड़े दिग्गजों का रहा जमावड़ा

कार्यक्रम में गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राजेश सिंह, देवरिया सांसद डा. रमापति राम त्रिपाठी, खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी, विधायक गंगा सिंह कुशवाहा, विधायक रजनी कांत मणि त्रिपाठी, डा. देवी प्रसाद सिंह, मदन मोहन पांडेय, अवधेश पांडेय, आचार्य उमेश पांडेय, भाजपा के क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी डा. बच्चा पांडेय, नवीन, डा. गोविद पांडेय, गोविद मिश्र, डा. एके पांडेय, डा. मुकेश दुबे, दिवाकर मणि त्रिपाठी, चन्द्रप्रभा पांडेय, भाजपा पंचायत प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक अजय तिवारी, भाजपा नेता विजय राय, डा. एचके पांडेय, रामअवध यादव, ब्रजेश पांडेय, डा. सौरभ मिश्र, प्रो. राजीव रंजन पटना, शैलेश जी पटना, डा. हर्षव‌र्द्धन सिंह तोमर, डा. रत्नेश त्रिपाठी, दिल्ली, डा. विकास सिंह, शैलेंद्र दत्त शुक्ल, हेमंत धींग मजूमदार, संजय कानपुर, मुकेश उपाध्याय, हेमंत वत्स, विकास सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी, शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।


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