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शहर से गांव तक उबाल, दावे को लगा करंट

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 05:59 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 05:59 PM (IST)
शहर से गांव तक उबाल, दावे को लगा करंट

जागरण संवाददाता, पडरौना, कुशीनगर: बिजली की समस्या शहर से गांव तक एक जैसी है। बिजली को लेकर सरकार द्वारा जो भी दावे किए गए हैं, फेल साबित हो रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक की आक्रोशित जनता धरना, प्रदर्शन, जाम आदि के माध्यम से विरोध जता रहे हैं, पर सब कुछ बेकार साबित हो रहा है। आक्रोशित जनता विभाग के उच्चाधिकारियों की कुर्सी पर कब्जा व उन्हें बंधक भी बनाने का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश सरकार भी सभी गतिविधियों से वाकिफ है।

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स्थानीय कस्बा सहित आस-पास के क्षेत्रों में दो शिफ्टों में बिजली उपलब्ध कराने का शासन का निर्देश हवा-हवाई साबित हो रहा है। कभी फाल्ट तो कभी ऊपर से कटौती बता कर बिजली की रोस्टिंग नियमित की जा रही है। जिसके कारण 24 घंटे में मात्र दो से तीन घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इससे उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

हाटा नगर पंचायत के मनोनीत सभासद संतोष मिश्र, सभासद मनीष कुमार रुंगटा,अधिवक्ता एनडी तिवारी, सुकरौली बाजार निवासी सरफुद्दीन अंसारी का कहना है कि यहां लंबे समय से लो वोल्टेज व फाल्ट की समस्या बनी हुई है। चौबीस घंटे में दो से तीन घंटे ही बिजली मिल पा रही है। वह भी लो वोल्टेज के कारण बेमतलब साबित हो रही है। छात्र नेता सोमेश चतुर्वेदी ने कहा कि बिजली के मुद्दे पर किसी भी पार्टी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। बिजली कटौती से जहां उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं वही विद्यार्थियों को पढ़ाई भी ढिबरी के सहारे करनी पड़ रही है। उन्होंनें कहा कि केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश को पर्याप्त कोयला उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे प्रदेश में बिजली संकट का समाधान हो सके।

जनपद के पश्चिमी छोर पर बसा हाटा तहसील क्षेत्र का गांव अवरही कृतपूरा के लोग आजादी के 67 साल के बाद भी ढिबरी की रोशनी में रहते है।

लगभग पांच हजार आबादी को समेटे इस ग्राम सभा के मुख्य पुरवे पर आंशिक विद्युतीकरण को छोड़ छह पुरवे आज भी अंधेरे में डूबे रहते है। ग्राम सभा में जो नव बहुएं फ्रीज, कूलर, टी बी, वाशिंग मशीन, पंखा आदि सामान अपने साथ लेकर आती हैं वह सारा सामान पैक रख कर इलाके के जनप्रतिनिधियों को कोसती है। गांव के वयोवृद्ध उदयभान सिंह, रुदल सिंह, गोव‌र्द्धन सिंह आदि लोग अपने भाग्य को कोसते है और यह कहते है कि हम अपने जीवन काल में बिजली का सूख नही उठा पाएंगे। गांव के राजाराम पाडेय, जगदीश सिंह, चन्द्रभान, बुद्धिराम आदि लोगो ने इस गांव के विद्युतीकरण के कराने की मांग की है।

फाजिलनगर उपकेंद्र के विद्युत उपभोक्ताओं का हाल बुरा हो गया है। चौदह से सोलह घंटे तक मिल रही बिजली अब महज 10 घंटे ही मिल रही है। ऊपर से लो-वोल्टेज व लोकल फाल्ट के नाम पर कटौती से स्थिति और खराब हो गई है।

उक्त उपकेंद्र से करीब 80 गांवों को विद्युत आपूर्ति होती है। उपभोक्ताओं को पहले सोलह घंटे तक बिजली मिल रही थी। किंतु इधर आपूर्ति का समय घटकर दिन में10 बजे से 3 बजे तक व रात में 11 बजे से 4 बजे तक कुल 10 घंटा कर दिया गया है। किंतु इसमें भी प्रतिदिन कंट्रोल रूम के निर्देश पर दो घंटे कटौती की जा रही है।

स्थानीय विद्युत उपकेंद्र से जुड़े उपभोक्ताओं में कटौती को लेकर आक्रोश है। क्योंकि यहां रोस्टर का कोई मतलब नहीं है। भोर में 4 बजे बिजली आ रही है और सुबह आठ बजे कट जा रही है, और पूरे दिन गायब रह रही है। इससे सरकारी व गैर सरकारी विभागों में काम-काज पर तो प्रभाव पड़ ही रहा है उद्योग धंधों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इससे उपभोक्ताओं में उबाल है।

कम बिजली मिलने से इनवर्टर भी चार्ज नहीं हो पा रहा है। मध्यम वर्गीय लोगों को सर्वाधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेसी नेता संजय राय ने कहा कि रात में बिजली न मिलने से न सिर्फ पेयजल का संकट आ जाता है अपितु पूरी दिनचर्या गड़बड़ा जाती है। सेंट थोमस चिल्ड्रेन के प्रधानाचार्य केके रामचंद्रन ने कहा कि अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहे उपनगर वासियों को बिजली न मिलने से चैन की नींद भी नसीब नहीं हो रही है। व्यवसायी गुड्डू वर्मा का मानना है कि विद्युत आपूर्ति के मुद्दे पर सपा सरकार विफल है। घोषणा पत्र के वादे का अनुरूप बिजली न दिया जाना जनता के साथ धोखा है। व्यवसायी प्रणव सिंह राघव ने कहा कि पूर्व की भांति उपकेंद्र को विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करवाने के लिए एक तेज धार आंदोलन की जरूरत है। लल्लन प्रसाद व्याहुत ने कहा कि व्यवसाय की दृष्टि से दोनो शिफ्ट में चौदह घंटे आपूर्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो वायदा किया था वह हवा-हवाई साबित हुई है।

एसडीओ विद्युत उदय प्रताप का दावा है कि शासन से जो आपूर्ति का मानक तय किया गया है उस अनुपात में उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति मुहैया कराई जा रही है।

आजादी के 66 वर्ष बीत जाने के बाद भी विद्युतीकरण से वंचित ग्रामसभा गंगराई के पुरवा वासी आज भी विकास की किरण बिजली केलिए तरस रहे हैं। अभी तक पुरवों में न पोल ही गाड़ा गया और न ही विद्युत तार ही पहुंचा। गाव अंधेरे में डूबा रहता है, चाह कर भी लोग अपने घरों में कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं। गंगराई सात पुरवों में विभाजित है जो क्रमश: गंगराई, महुआडाबर, भगवानपुर, गदहिला, शिवटोला, ढ़ोड़हवा व तिवारी टोला के नाम से जाना जाता है। गांव के लोग क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को कोसते हैं। भाजपा नेता रामानन्द बौद्ध विद्युतीकरण कराने की मांग की है।


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