Move to Jagran APP

अनदेखी से कागज में सिमटी ग्राम सुरक्षा समिति

जिले में गठित की गई ग्राम सुरक्षा समिति पूरी तरह से धड़ाम है। कागजी कोरम पूरा कर पुलिस ने अपने मित्रों को सक्रिय कर रखा है। विभागीय अनदेखी का दंश झेल रहे सुरक्षा समिति के सदस्यों की पुलिस से दूरी बढ़ रही है। इसकी वजह से आपराधिक गतिविधियों की सूचना नहीं पहुंच रही है। इसकी वजह अपराधियों पर नजर रखने भी काफी दिक्कत हो रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:55 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 10:55 PM (IST)
अनदेखी से कागज में सिमटी ग्राम सुरक्षा समिति

जासं, कौशांबी : जिले में गठित की गई ग्राम सुरक्षा समिति पूरी तरह से धड़ाम है। कागजी कोरम पूरा कर पुलिस ने अपने मित्रों को सक्रिय कर रखा है। विभागीय अनदेखी का दंश झेल रहे सुरक्षा समिति के सदस्यों की पुलिस से दूरी बढ़ रही है। इसकी वजह से आपराधिक गतिविधियों की सूचना नहीं पहुंच रही है। इसकी वजह अपराधियों पर नजर रखने भी काफी दिक्कत हो रही हैं।

loksabha election banner

आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी धर-पकड़ में सहयोग करने के लिए शासन के निर्देश पर पुलिस विभाग ने जिले में ग्राम सुरक्षा समिति का गठन किया गया है। समिति में प्रत्येक गांव से 15 से 20 सदस्य शामिल हैं। समिति के सदस्यों को पुलिस विभाग की ओर किसी प्रकार सहयोग व प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। वारदात होने के पहले अपने-अपने इलाके में आपराधिक गतिविधि व अपराधियों के लोकेशन के बारे में पुलिस को सूचना ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य देते थे। अब तो पुलिस मित्र हैं, लेकिन वह कोई मदद नहीं करना चाहते। उनका कहना है कि पहले जो उन्हें वरीयता मिलती थी, अब वह नहीं रह गई है। परिचय देने के बाद भी उन्हें उसी नजर से देखा जाता है, जैसे आम जनता को। गोपनीय तरीके से पुलिस को सूचना देना भी जी का जंजाल बन जाता है। इसके चलते उनका अपने ही गांव में लोगों से दुश्मनी बढ़ जाती है। खाऊ-कमाऊ नीति के चलते पुलिस से मित्रता उनके लिए मुसीबत खड़ी कर रही है। क्या है समिति के सदस्यों का काम

ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य आपराधिक वारदातों के अनावरण व अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने का काम करते हैं। इसकी सूचना पुलिस को देते हैं। रात के समय गांव के लोगों की सुरक्षा इनका विशेष कार्य होता है। रात्रि गश्त पर निकले इलाकाई थानेदार सुरक्षा समिति के लोगों को इकट्ठा करते हैं और अलग-अलग टोली बनाकर उन्हें कार्य सौंपते हैं। कुछ लोग गांव की गलियों में पुलिस कर्मियों के साथ घूमते हैं तो कुछ लोग कौन अपराधी कहां छिपा हुआ है, इसकी जानकारी देते हैं। यदि किसी परिस्थिति में गांव में बदमाश या चोर घुस आए तो सुरक्षा समिति के सदस्य अपने आपको पूरी तरह से सक्रिय कर लेते हैं और टोली तैयार कर अलग-अलग रास्तों में फैल जाते हैं। एक टोली का काम सो रहे ग्रामीणों को जगाने का काम होता है तो दूसरी टोली बदमाशों से मोर्चा लेने के लिए पथराव करती है। दो वर्ष से नहीं कराई गई ट्रेनिग

आपराधिक गतिविधियों पर किस तरह नजर रखनी है और पुलिस के पहुंचने के पहले बदमाशों से कैसे निपटना है। इसकी ट्रेनिग दी जाती है। प्रशिक्षण में इस बात की भी जानकारी दी जाती है कि यदि कहीं आग लग जाए तो अग्निशमन टीम के पहुंचने के पहले उन्हें बचाव के क्या-क्या उपाय करने चाहिए। समय-समय पर ट्रेनिग भी कराई जाती है लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। जिले के सभी गांव में ग्राम सुरक्षा समिति का गठन तो पहले से ही है लेकिन अधिकांश जगहों पर यह निष्क्रिय हैं। इन्हें फिर से सक्रिय करने की कवायद शीघ्र ही शुरू की जाएगी। इसके लिए थानेदारों को भी निर्देशित किया जाएगा कि समिति के सदस्यों के प्रति पुलिस का व्यवहार अच्छा हो।

- प्रदीप गुप्ता, पुलिस अधीक्षक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.