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शेखपुर रसूलपुर गोशाला में मृत मवेशियों के साथ रखे गए गोवंश

बेसहारा घूमने वाले गोवंशों को संरक्षित करने के लिए गोशालाओं बनाई गई हैं। गोशालों के रख-रखाव के लिए सरकार पानी की तरह पैसा भी खर्च करती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण गोशालाओं की दशा बेहद खराब हैं। मवेशियों को बदहाल स्थिति में रखा जाता है। इतना ही नहीं मृत मवेशियों को भी उनके बीच से नहीं हटाया जाता। इससे स्वस्थ मवेशियों में बीमारी फैलने की भी आशंका बनी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 10:40 PM (IST)
शेखपुर रसूलपुर गोशाला में मृत मवेशियों के साथ रखे गए गोवंश

संसू, चायल: बेसहारा घूमने वाले गोवंशों को संरक्षित करने के लिए गोशालाओं बनाई गई हैं। गोशालों के रख-रखाव के लिए सरकार पानी की तरह पैसा भी खर्च करती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण गोशालाओं की दशा बेहद खराब हैं। मवेशियों को बदहाल स्थिति में रखा जाता है। इतना ही नहीं मृत मवेशियों को भी उनके बीच से नहीं हटाया जाता। इससे स्वस्थ मवेशियों में बीमारी फैलने की भी आशंका बनी है।

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चायल विकास खंड के शेखपुर रसूलपुर गांव में गोशाला है। यहां आसपास के मवेशियों को रखा गया है लेकिन गोशाला में लापरवाही चरम पर देखने को मिली। भूख और प्यास से बेजुबान मवेशी तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। आलम यह है कि मृत मवेशियों को भी यहां से नहीं हटाया गया। गोशाला में ही नरभक्षी पशु-पक्षियां, चील-कौवे और कुत्ते शव को नोच-नोच कर खाते रहे। ऐसे में जिम्म्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, पशुधन विभाग ने इस लापरवाही का ठीकरा ग्राम प्रधान और कर्मचारियों पर फोड़ दिया है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सीमा सिंह का कहना है कि गोशाला में मृत मवेशियों के निस्तारण के लिए प्रधान के खाते में नियमित भुगतान होता है। भूसा और चारा के लिए उनके पास धन भेजा गया है। गोशाला की दीवार के निर्माण के लिए भी ग्राम पंचायत के खाते में भुगतान किया जा चुका है, फिर भी दीवार नहीं बनी। प्रधान आचार संहिता का हवाला देकर निर्माण नहीं करा रहे हैं। बताया कि इस संबंध में पशु चिकित्साधिकारी चायल डा. वंदना ने खंड विकास अधिकारी से भी वार्ता की हैं लेकिन अब तक पहल नहीं हो सकी।


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