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कंस वध के साथ हुआ नौ दिवसीय रासलीला का समापन

संसू, सिराथू : तहसील सिराथू क्षेत्र में ससुर खदेरी नदी के तट पर स्थित त्यागी आश्रम कैमा में विष्णु महायज्ञ एवं कृष्ण रासलीला के अंतिम दिन बुधवार को कंस वध का मंचन किया गया। जिसे देखने आसपास के दर्जनों गांवों से ग्रामीण पहुंचे। मामा कंस का वध होते ही दर्शक आनंदित हो उठे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 08:39 PM (IST)
कंस वध के साथ हुआ नौ दिवसीय रासलीला का समापन
कंस वध के साथ हुआ नौ दिवसीय रासलीला का समापन

संसू, सिराथू : तहसील सिराथू क्षेत्र में ससुर खदेरी नदी के तट पर स्थित त्यागी आश्रम कैमा में विष्णु महायज्ञ एवं कृष्ण रासलीला के अंतिम दिन बुधवार को कंस वध का मंचन किया गया। जिसे देखने आसपास के दर्जनों गांवों से ग्रामीण पहुंचे। मामा कंस का वध होते ही दर्शक आनंदित हो उठे।

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रासलीला के आखिरी दिन कलाकारों ने मंचन कर दिखाया कि गोभिल छल करके पद्मावती से मिला जिससे गर्भ धारण के बाद पद्मावती ने कंस को जन्म दिया। कंस की एक बहन देवकी भी थी। दोनों भाई बहनों में बहुत अधिक प्रेम था। देवकी को जरा सी चोट लगती तो दर्द कंस को होता था। देवकी की विदाई के समय आकाशवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान ही कंस का वध करेगी। इस पर कंस ने देवकी की हत्या करने का विचार बनाया। देवकी की आठवीं संतान के बाद फिर से आकाशवाणी हुई और कंस को पता चला कि उसे मारने वाला तो पैदा हो चुका है। उसने तमाम नवजातों की हत्या के आदेश दे दिए। बालक कृष्ण की हत्या में सफलता नहीं मिली। कंस ने श्री कृष्ण और बलराम को मथुरा आने का निमंत्रण देकर मौत को बुलावा दिया। कंस ने कृष्ण और बलराम के पीछे पागल हाथी को छोड़ा तो सूंड काटकर उसे मौत के घाट उतार दिया। मल्ल युद्ध में एक-एक कर कंस के सारे महारथी मौत के घाट उतरते गए। अब श्री कृष्ण ने कहा कि कंस मामा तुम्हारे पाप का घड़ा भर चुका है। इसके पश्चात श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से कंस का सर धड़ से अलग कर दिया। इस प्रकार कंस का वध कर भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी वासियों को एक अत्याचारी से मुक्ति दिलाई। कार्यक्रम में संत ज्ञान प्रकाश त्यागी महाराज, श्रीराम परमहंस दास जी के सुयोग्य मार्ग दर्शन में कृष्ण रासलीला का कार्यक्रम संपन्न हुआ है। इस मौके पर व्यास कंचन द्विवेदी, विमल द्विवेदी इंद्र, दयाशंकर तिवारी, गुड्डू ¨सह, वाचस्पति पांडेय, भानु प्रताप ¨सह, मटरू पांडेय आदि रहे।


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