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आदर्श तालाब की बाउंड्री की ईंटे भी गायब

जासं, कौशांबी : वर्षा जल संचय के लिए आठ वर्ष में करोड़ों रुपये की लागत से गांव-गांव आदर्श तालाब बनवाए गए। लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकतर तालाबों की चहारदीवारी की ईंटे भी गायब हो गई और गेट चोरी हो गया है। इससे वर्ष जल का संचय नहीं हो पा रहा है। साथ ही शासन की मंशा पर पानी भी फिर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 08:39 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 08:39 PM (IST)
आदर्श तालाब की बाउंड्री की ईंटे भी गायब
आदर्श तालाब की बाउंड्री की ईंटे भी गायब

जासं, कौशांबी : वर्षा जल संचय के लिए आठ वर्ष में करोड़ों रुपये की लागत से गांव-गांव आदर्श तालाब बनवाए गए। लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकतर तालाबों की चहारदीवारी की ईंटे भी गायब हो गई और गेट चोरी हो गया है। इससे वर्ष जल का संचय नहीं हो पा रहा है। साथ ही शासन की मंशा पर पानी भी फिर रहा है।

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गिरते भूजल स्तर को देखते हुए वर्ष 2010 में जिले की 438 गांवों में आदर्श तालाब बनाया गया। तालाबों की खोदाई कराने के बाद उनकी चहारदीवारी भी कराई गई और गेट भी लगाया गया। मनरेगा के तहत आदर्श तालाबों के सुंदरीकरण में साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च हुआ है। कभी यह तालाब ग्रामीणों के लिए आकर्षण का केंद्र थे, लेकिन प्रधान व सचिव की अनदेखी की वजह से अधिकतर आदर्श तालाब बदहाल हो गए। इसमें विकास खंड मूरतगंज के सैता, विकास खंड नेवादा के पूरे हजारी, सेवथा, तिल्हापुर, चंदूपुर, विकास खंड चायल का फरीदसलेमपुर, निजामपुर कुरौनी, विकास खंड सिराथू का सेहिया आदर्श तालाब शामिल है। निजामपुर कुरैनी गांव में मोहित कुमार, संतोष व देवचंद्र का कहना है कि आठ वर्ष पूर्व गांव में आदर्श तालाब बनाया गया था। इसमें करीब दस लाख रुपये खर्च भी हुआ था। निर्माण के दो वर्ष बाद तालाब का गेट गायब कर दिया गया। चहारदीवारी को तोड़कर ईंट भी लोगों ने गायब कर दिया। बदहाल तालाबों में गर्मी के दिनों में पानी नहीं रहता है। इसकी शिकायत प्रधान का सचिव से की गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। यही हाल जिले के अन्य आदर्श तालाबों का है।

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चोरी हुए गेट की नहीं दर्ज कराई गई रिपोर्ट

जिले की 438 गांवों में आदर्श तालाब बनाए गए थे। चहारदीवारी तोड़कर ईंट गायब कर दी गई। साथ ही लाखों की लागत से लगाए गए गेट भी चोरी हो गए हैं। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने प्रधान व सचिव से की थी। इसके बाद भी चोरी हुए गेट की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। इससे ग्रामीणों में जिम्मेदारों के प्रति नाराजगी है।


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