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नम आंखों से दफनाया गया ताजिया

जागरण संवाददाता, कौशांबी : मंझनपुर कस्बे के ह•ारतगंज मोहल्ला स्थित चौधरी एहसान हैदर के बड़े चबूतरे से

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 07:44 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 07:44 PM (IST)
नम आंखों से दफनाया गया ताजिया
नम आंखों से दफनाया गया ताजिया

जागरण संवाददाता, कौशांबी : मंझनपुर कस्बे के ह•ारतगंज मोहल्ला स्थित चौधरी एहसान हैदर के बड़े चबूतरे से मोहर्रम का जुलूस उठाया गया। मौलाना आरि़फ रि•ावी ने त़करीर किया। कहा कि छह माह के अली अस़गर को भी य•ाीदियों ने पानी नही दिया और शहीद कर दिया। कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन इंसानियत को बचाने के लिए अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए। त़करीर के बाद ता•िाया और अलम के साथ इमाम हुसैन का जुलजनाह बरामद हुआ।

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सोगवरो ने दर्शन कर फूलों की चादर चढ़ाई और अपनी नेक दुवाएं मांगीं। इसके बाद सलमान हैदर रि•ावी ने मरसिया पढ़ा। आज शब्बीर पर क्या आलमे तन्हाई है, मरसिया पढ़ते हुए जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होते हुए नासिर हुसैन रि•ावी के घर के पास से अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीना•ानी की। अंजुमन असगरिया कदीम के नौहाखन ने पढ़ा या हुसैन अलविदा, अंजुमन जौहरिया कदीम ने नौहा पढ़ा। इमाम को न•ाराने अ़कीदत पेश करते हुए जंजीरो व तलवार का मातम किया। सोगवार जंजीरो का मातम करते हुए कह रहे थे कि अगर हम कर्बला में होते तो आप पर कुर्बान हो जाते। या हुसैन अलविदा के नारों से पूरा माहौल ़गमगीन रहा। धाता मंझनपुर मार्ग पर आते ही सुन्नत जमात का जुलूस भी शामिल हो गया। निकला हुसैन का जुलूस

संसू, कसेंदा : चायल क्षेत्र के महंगाव, उजिहनी, सैयदसरावां, कसेंदा, मखऊपुर, पुरखास, सेंहुड़ा, काठगांव आदि गांवों से हुसैन का जुलूस निकाला गया। जुलूस दोपहर दो बजे से गांव के इमामबाड़ा से निकाला गया। इस बीच बड़े बुजुर्ग के साथ बच्चों ने भी चेन ब्लेड व चाकू ली जंजीरों से अपने ऊपर प्रहार कर हुसैन का मातम मनाया। इस बीच लोगों ने पुलाव, जलेबी व लाचीदाना का वितरण किया। कौशांबी के कसेंदा व इलाहाबाद के अकबरपुर गांव के सीमा पर जुलुस पहुंचा। इस बीच मेंडवारा, कादिलपुर, अकबरपुर गांव के जुलूस उसी स्थान पहुंच गए और बाद में कर्बला में दफना दिए गए। इस बीच कांग्रेस जिलाध्यक्ष तलत अजीम, मोहम्मद अमजद, साजिद अली, ऐमर, आरिफ, मिस्टर, शाहरुख, मोहम्मद सैफ, सुखलाल यादव, धर्मेंद्र ¨सह, कुलदीप, रमेश, बब्लू यादव, संजय, सोनू आदि थे। पंचायती इमामबाड़ा कलां मनौरी से बरामद हुआ ताजिए का जुलूस

संसू, चायल : माहे मोहर्रम की 10 तारीख हजरत इमाम हुसैन से मंसूब है। जोकि हजरत रसूल अल्लाह के प्यारे नवासे हैं। जिनको जालिमों ने तीन दिनों का भूखा प्यासा शहीद कर दिया। इसी गम को आगे बढ़ाते हुए अंजुमने मोहम्मदिया की सरपरस्ती में ताजिया का जूलूस शुक्रवार को दिन में दो बजे बरामद हुआ। र्मिसया ख्वानी जनाब आफताब हैदर ने की।

मजलिस को खिताब मौलाना जफर अब्बास गोरखपुरी ने किया। उन्होंने पढ़ा-अजादारों आज आशूर का दिन है सुबह हो गई है जैनब के परदे का आखिरी दिन, फातिमा की आल आज करबला में अकेली है। इमाम के मसायब सुनकर अजादार अपनी आंखों से अश्क न रोक पाए और जारो कतार रोने लगे। उसके बाद अंजुमने मोहम्मदिया के साहबे बयाज जनाब शैजी, सोनू, जफर अब्बास ने नौहाख्वानी की। उन्होंने पढ़ा-सारी दुनिया खा रही है तेरा सदका या हुसैन....। जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ पंचायती करबला कलां में जाकर शाम सात बजे अलविदाई नौहा के साथ तमाम हुआ। पंचायती बड़ा ताजिया के साथ मादपुर, महमूदपुर और फतेहपुर का भी ताजिया पंचायती करबला में दफन हुआ।

पश्चिम शरीरा प्रतिनिधि के अनुसार तहसील मंझनपुर क्षेत्र के गढ़ी कर्बला में अंधावा मिरदहन का पूरा व गढ़ी की ताजिया के लिए शाम पांच बजे क्षेत्र के हजारों लोग इकट्ठा होकर मातम मनाया। ताजियादारो ने ताजिया का मिलान कराया। मोहर्रम में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीएसी व पुलिस बल तैनात किए गए थे। इस मौके में सदर एसडीएम निरीक्षण किया और लोगों को शांतिपूर्वक त्योहार मनाने की अपील की। इसके अलावा क्षेत्र के गोराजू व अषाढ़ा अन्य छोटे छोटे स्थानों में मोहर्रम का त्यौहार शांतिपूर्वक मनाया गया।

म्योहर प्रतिनिधि के अनुसार ¨पडरा गांव में नोहा मोहर्रम को अली अकबर का ताबूत व इमाम हुसैन जुल्जना बरामद हुआ। अहले सुन्नत की तौहीद ने नौहा पढ़ा तो बरबस औरतें अली असगर को याद करके रो पड़ी। अली असगर छोड़ गए, मेरे प्यासे अली असगर छोड़ गए, मेरे प्यासे अली यह सुनते आजादारो की आखों नम हो गई। गांव के बड़े इमामबाड़े से ताजिया उठी और कर्बला की सरजमी मे सुपुर्देंखाक कर दिया गया। इस मौके पर खुर्शीद, अबू मोहम्मद, अतीक शमीम, अहमद, इम्तियाज मियां, हाजी मोहम्मद याकूब, तस्मीन बानो आदि थे। दर्द भरी सदाओं के बीच दफनाये गए ताजिए

करारी : मोहर्रम पर कस्बे में सुबह से ही अजाखानों में मजलिसों के मातम का सिलसिला शुरू हो गया। इसके बाद अ•ा़खनों और इमाम चौक से ताजिये उठने का सिलसिला शुरू हुआ। अ•ादार अलविदा, अलविदा या हुसैन अलविदा पढ़ते हुए चलने लगे।

दिन में दो बजे सबसे पहले ह•ारतगंज के सद्र इमाम बारगाह से ता•िाया उठा। दूसरा हुसैनिया शरीफाबाद से और तीसरा ता•िाया अंसारगंज के इमाम बारगाह से उठ कर कर्बला को लेकर अ•ादार चले। इस बीच सारे अ•ादार आंसू बहाते र्मिसया पढ़ते हुये चल रहे थे। उन्होंने पढ़ा- आज शब्बीर पा क्या आलमे तन्हाई है, •ाुल्म की चांद पा •ाहरा के घटा छाई है। वही नयागंज में जावेद रि•ावी र्मिसया पढ़ा- आखिरी अंजुमन ए अब्बासिया ने पढ़ा। इसके बाद ताजिये लेकर अ•ादार कर्बला पहुंचे जहां आखिरी नौहा अंजुमन ए अब्बासिया पढ़ा- शब्बीर बहुत ही प्यासे थे, एक बूंद नहीं पाया पानी, थी खुश्क •ाुबां मुंह से लटकी और सामने बहता था पानी। मातम के बाद अ•ादारो ने आंसू बहाते हुये इमाम हुसैन के ताजिये द़फन किये। आखिर में अ•ाी•ा हुसैन ने •िायारत पढ़ाकर जुलूस खत्म किया। इस मौके पर कर्रार हुसैन उर्फ राशिद रिजवी, चांद जफर, जब्बार रिजवी, परवेज, अफरोज रिजवी आदि थे।


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