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विदेशी मांगुर प्रतिबंधित, बेचने व पालने पर लगाई रोक

जासं, कौशांबी : पर्यावरण के लिए खतरा बन रही थाई मांगुर (विदेशी मांगुर) को प्रतिबंधित कर दिया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली के निर्देश पर यह प्रतिबंध पूरे देश में लगा दिया गया है। इसको लेकर जिला प्रशासन ने भी कठोर कदम उठाया है। आज से ही पूरे जिले में इस मछली के पालने व बेचने पर रोक लगा दी है। मत्स्य विभाग ने पालकों को इसके संबंध में जानकारी दी है। यदि कोई व्यक्ति थाई मांगुर को पालेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 11:28 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 11:28 PM (IST)
विदेशी मांगुर प्रतिबंधित, बेचने व पालने पर लगाई रोक
विदेशी मांगुर प्रतिबंधित, बेचने व पालने पर लगाई रोक

जासं, कौशांबी : पर्यावरण के लिए खतरा बन रही थाई मांगुर (विदेशी मांगुर) को प्रतिबंधित कर दिया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली के निर्देश पर यह प्रतिबंध पूरे देश में लगा दिया गया है। इसको लेकर जिला प्रशासन ने भी कठोर कदम उठाया है। आज से ही पूरे जिले में इस मछली के पालने व बेचने पर रोक लगा दी है। मत्स्य विभाग ने पालकों को इसके संबंध में जानकारी दी है। यदि कोई व्यक्ति थाई मांगुर को पालेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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जनपद में मछली पालने के जरिए बेरोजगारों को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए मत्स्य पालन विभाग लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सबसे अधिक थाई मांगुर की मांग होती है। इसका स्वाद भले ही अच्छा हो, लेकिन यह न तो लोगों की सेहत के लिए अच्छी है और न ही पर्यावरण के लिए बेहतर है। इस किस्म की मछली को पूरे देश में प्रतिबंधित कर दिया गया है। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने इसकी बिक्री व पालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मछली न तो लोगों की सेहत के लिए बेहतर है और न ही जलीय जीव व वनस्पति के लिए। मछली जलीय जीवों के साथ ही वनस्पतियों को खाकर उनको नष्ट कर रही है। डीएम के निर्देश के बाद मत्स्य विभाग ने पालकों को इसके संबंध में निर्देश जारी कर दिया है। मत्स्य विकास अधिकारी सुनील ¨सह ने बताया कि मत्स्य पालकों को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है। खाने से कैंसर का बढ़ जाता है खतरा

जासं, कौशांबी : विदेशी मांगुर लंबे समय तक मत्स्य पालक ¨जदा रखते थे। एक समय के बाद इसके शरीर में लाल चकत्ते जैसे निशान बन जाते थे। यह निशान फिश ¨सड्रोम नामक बीमार फैला देते हैं। डॉ. अरुण पटेल ने बताया कि बीमारी से पीड़ित मछली को खाने वाले व्यक्तियों में कैंसर की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर का कारण बनने के साथ ही यदि इस मछली को किसी नदी व तालाब में डाला जाता है तो यह अन्य जीवों को अपना शिकार बनाती है। जिससे पर्यावरण संतुलन प्रभावित होता है।


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