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छग में हुए नक्सली हमले में कौशांबी का लाल शहीद

कौशांबी/ प्रयागराज महेवाघाट थाना क्षेत्र के अलवारा गांव का एक जवान छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हो गया। सूचना मिलते ही स्वजन गमगीन हो उठे। घर और गांव में मातम पसरा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 11:33 PM (IST)
छग में हुए नक्सली हमले में कौशांबी का लाल शहीद

कौशांबी/ प्रयागराज: महेवाघाट थाना क्षेत्र के अलवारा गांव का एक जवान छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हो गया। खबर मिलने पर परिवार में मातम छा गया। गांव के लोग शहीद जवान के घर पहुंचे और घरवालों को ढांढस बंधाया। शहीद का पार्थिव शरीर रायपुर से विशेष विमान से शुक्रवार को लाया जाएगा।

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अलवारा निवासी रघु प्रसाद सरोज का 32 वर्षीय इकलौता बेटा कामता प्रसाद सीआरपीएफ में था। वह 2011 में भर्ती हुआ था। इन दिनों 151 वीं बटालियन छत्तीसगढ़ में तैनात था। गुरुवार की भोर छत्तीसगढ़ के बीजापुर पामेड़ के जारपल्ली स्थित जंगल में पेट्रोलिंग के दौरान नक्सलियों ने टीम पर हमला कर दिया जिसमें कामता प्रसाद शहीद हो गए। यह जानकारी सुबह करीब 10 बजे घरवालों को हुई तो पूरे परिवार में मातम छा गया। शहीद जवान के पिता रघु प्रसाद, पत्नी अनीता व मां श्यामकली के रोने की आवाज सुनकर पड़ोसी समेत ग्रामीण भी इकट्ठा हो गए।

रघु प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2011 में कामता सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। वर्ष 2013 में उसकी शादी मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के वंश का पूरा निवासी मुन्ना सरोज की बेटी अनीता देवी के साथ हुई थी। उसके कोई बच्चे नहीं हैं। वह दशहरा में छुट्टी आए थे। 21 अक्टूबर को छुट्टी खत्म होने के बाद लौट गए थे। सुबह से देर शाम तक शहीद के घर पर लोगों का जमावड़ा लगा रहा। प्रयागराज के फाफामऊ क्षेत्र स्थित सीआरपीएफ ग्रुप मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि शहीद जवान का पार्थिव शरीर शुक्रवार को विशेष विमान से बमरौली हवाई अड्डा प्रयागराज लाया जाएगा। वहां से घर ले जाया जाएगा।

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एसडीएम ने गांव पहुंचकर दी जानकारी :

जवान कामता प्रसाद के शहीद होने की सूचना गुरुवार सुबह सीआरपीएफ 151वीं बटालियन के अधिकारियों ने एसडीएम मंझनपुर राजेश चंद्रा को दी। उन्होंने गांव पहुंचकर शहीद के पिता रघु प्रसाद को जानकारी दी। यह सुनते ही परिवार को में कोहराम मच गया।

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अवाक रह गए दोस्त : खेती करके भरण पोषण कर रहे अखिलेश अपने साथी कामता प्रसाद के घर पहुंचे। दोस्त की शहादत पर वह भी फूट-फूट कर रोने लगे। रेलवे में इंजीनियर और कामता के दोस्त श्रीकांत द्विवेदी को भी अखिलेश ने मोबाइल से जानकारी दी। अखिलेश ने बताया कि कामता से अक्सर मोबाइल पर बात होती थी। वह खुद और परिवार से ज्यादा दोस्तों के बारे में पूछा करते थे। कोई भी त्योहार हो, सभी दोस्त कामता प्रसाद के फोन का इंतजार करते थे। बुजुर्ग नर्मदा प्रसाद, जगदीश व इंद्र नारायण भी कामता के बारे में कहते रहे कि वह जब भी छुट्टियों में गांव आते तो सबसे मिलते थे। बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और गांव के हित के बारे में वह हमेशा सोचने के कारण वह सब के दिलों में रहते थे। यह बहुत बड़ी घटना हो गई।


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