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जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के नाम पर की जा रही वसूली

जिला अस्पताल में इन दिनों अल्ट्रासाउंड कराना आसान नहीं रह गया है। समय चाहे जो भी हो 40 मरीजों की गिनती पूरी होने के बाद अल्ट्रासाउंड बंद कर दिया जाता है। इसके बाद कर्मी 100 से 200 रुपये खर्च लेने के बाद ही पर्चे की गिनती बढ़ाते हैं। यह खेल काफी दिनों से चल रहा है। शिकायत भी लोगों ने सीएमएस से की थी। इसके बाद भी अनदेखी की जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 06:34 AM (IST)
जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के नाम पर की जा रही वसूली
जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के नाम पर की जा रही वसूली

जासं, कौशांबी : जिला अस्पताल में इन दिनों अल्ट्रासाउंड कराना आसान नहीं रह गया है। समय चाहे जो भी हो, 40 मरीजों की गिनती पूरी होने के बाद अल्ट्रासाउंड बंद कर दिया जाता है। इसके बाद कर्मी 100 से 200 रुपये खर्च लेने के बाद ही पर्चे की गिनती बढ़ाते हैं। यह खेल काफी दिनों से चल रहा है। शिकायत भी लोगों ने सीएमएस से की थी। इसके बाद भी अनदेखी की जा रही हैं।

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गरीबों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले। इसके मद्देनजर जिला मुख्यालय मंझनपुर में संयुक्त जिला अस्पताल संचालित किया जा रहा है, लेकिन जहां पर तैनात चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही की वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है। इन दिनों अल्ट्रासाउंड में लंबा खेल चल रहा है। सुबह आठ बजे से दो बजे तक जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड किए जाने का प्रावधान है लेकिन अक्सर यहां मौजूद रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सौभाग्य प्रकाश लेट लतीफ आते हैं। देखते ही देखते अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीजों की संख्या दर्जनों हो जाती है। वार्ड में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी मरीजों का पर्चा इकट्ठा करते हैं और धीरे-धीरे अल्ट्रासाउंड शुरू किया जाता है। पर्चों की संख्या 40 पहुंचने के बाद शेष मरीजों का पर्चा जमा करने के बजाए दूसरे दिन आने की सलाह दी जाती है। इस बीच किसी ने खर्च देने की बात कही तो स्वास्थ्य कर्मी 100 से 200 रुपये लेकर पर्चा जमा कर लेते हैं। जो सुविधा शुल्क नहीं देते हैं। उन्हें वापस कर दिया जाता है। इस संबंध में कई बार मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों में नोकझोंक भी हो चुकी है। शिकायत के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है।

अल्ट्रासाउंड के नाम पर वसूली की जा रही है। इसकी शिकायत पूर्व में मरीजों ने की थी। अब ऐसा नहीं है। यदि कोई मरीज शिकायत करेगा तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. दीपक सेठ, सीएमएस।


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