आलोक की जिद बनी भाई-भतीजे के मौत की वजह
संसू, अझुवा : कहते हैं कि मौत अपना रास्ता खुद चुन लेती है। अझुवा कस्बे के समीप सड़क हादसे में हुई पिता-पुत्र की मौत भी कुछ यही बयां कर रही है। आनंद व उसके भाई आलोक को ननिहाल वालों ने बहुत रोकने का प्रयास किया लेकिन घर पहुंचने की जिद ने उन्हें हादसे का शिकार बना दिया।
संसू, अझुवा : कहते हैं कि मौत अपना रास्ता खुद चुन लेती है। अझुवा कस्बे के समीप सड़क हादसे में हुई पिता-पुत्र की मौत भी कुछ यही बयां कर रही है। आनंद व उसके भाई आलोक को ननिहाल वालों ने बहुत रोकने का प्रयास किया लेकिन घर पहुंचने की जिद ने उन्हें हादसे का शिकार बना दिया।
शुक्रवार को अझुवा कस्बे में बंदी रहती है। बंदी के दिन छुट्टी का आनंद लेने के लिए आनंद व आलोक अपने बीवी-बच्चों के साथ शंकरगढ़ ननिहाल गए थे। रात करीब 10 दस बजे खाना खाने के बाद अचानक आलोक व आनंद ने घर निकलने की तैयारी कर ली। ननिहाल में मौजूद उनके मामा ने काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन वह घर पहुंचने की जिद पर अड़ गए। मामा ने यह भी समझाया कि वह देर रात पहुंचेगे, इससे ठीक होगा कि सुबह निकले लेकिन आलोक ने यह कहकर टाल दिया कि सुबह बहुत काम है। देर से पहुंचने में काफी दिक्कत हो जाएगी। इसके बाद दोनों भाई वैगनआर कार से घर के लिए रवाना हो गए। गौर करने वाली बात तो यह है कि महज एक किमी का ही सफर बाकी था लेकिन अझुवा कस्बे के बाहर ही कार ड्राइव कर रहे आलोक को कुछ पल के लिए झपकी लग गई। हादसे में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। आनंद और मासूम समर की मौके पर ही सांसे थम गईं।
भाई की शादी की खुशियां भी हुई काफूर
पिता-पुत्र की मौत के बाद शादी की खुशियां भी काफूर हो गईं। आनंद के छोटे भाई अभिमन्यु की शादी माह भर पहले ही सगाई में तय हुई थी। फरवरी में शादी के लिए परिवार वालों ने खरीदारी भी शुरू कर दी थी। समर भी चाचा की शादी तय होने से बेहद खुश था। उसे क्या पता था कि चाचा की शादी के पहले ही काल के गाल में समा जाएगा। पिता-पुत्र की लाश घर लाई गई तो करुण क्रंदन से पूरा मोहल्ला गूंज उठा। घर में सिर्फ महिलाएं ही मौजूद थीं। परिवार के आधे से ज्यादा लोग अस्पताल में अन्य घायलों का इलाज करा रहे थे। गांव की औरतें गमजदा परिजनों को ढांढ़स बंधाती रहीं।