राम ने किया बालि का वध, सीता की खोज में निकली वानर सेना
जासं, कौशांबी : मंझनपुर के अंजहाई बाजार में मंगलवार की रात कलाकारों ने राम-सुग्रीव मिलन, हनुमान मिलन, बाली वध, सीता खोज का मंचन प्रस्तुत किया। लीला प्रसंग के मुताबिक बाली और सुग्रीव दोनों सगे भाई थे। दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम था। बाली बड़ा था, इसलिए वही वानरों का राजा था। एक बार दुंदुभी दैत्य रात्रि में किष्किन्धा में आकर बाली को युद्ध के लिए चुनौती देते हुए घोर गर्जना करने लगा।
जासं, कौशांबी : मंझनपुर के अंजहाई बाजार में मंगलवार की रात कलाकारों ने राम-सुग्रीव मिलन, हनुमान मिलन, बालि वध, सीता खोज का मंचन प्रस्तुत किया। लीला प्रसंग के मुताबिक बालि और सुग्रीव दोनों सगे भाई थे। दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम था। बालि बड़ा था, इसलिए वही वानरों का राजा था। एक बार दुंदुभी दैत्य रात्रि में किष्किन्धा में आकर बालि को युद्ध के लिए चुनौती देते हुए घोर गर्जना करने लगा।
बालि अकेला ही उससे युद्ध करने के लिये निकल पड़ा। भ्रातृप्रेम के वशीभूत होकर सुग्रीव भी उसकी सहायता के लिए पीछे-पीछे चल पड़े। वह राक्षस एक बड़ी भारी गुफा में घुस गया। बालि अपने छोटे भाई सुग्रीव को गुफा के द्वार पर अपनी प्रतीक्षा करने का निर्देश देकर राक्षस को मारने के लिए गुफा के भीतर चला गया। एक मास के बाद गुफा के द्वार से रक्त की धारा निकली। सुग्रीव ने अपने बड़े भाई बालि को राक्षस के द्वारा मारा गया जानकर गुफा के द्वार को एक बड़ी शिला से बंद कर दिया और किष्किन्धा लौट आए। मंत्रियों ने राज्य को राजा से विहीन जानकर सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बना दिया। राक्षस को मारकर किष्किन्धा लौटने पर जब बालि ने सुग्रीव को राज्य ¨सहासन पर राजा के रूप में देखा तो उसके क्रोध का ठिकाना न रहा। उसने सुग्रीव पर प्राणघातक मुष्टिक प्रहार किया। प्राण रक्षा के लिए सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर जाकर छिप गए। बालि ने सुग्रीव का धन-स्त्री आदि सब कुछ छीन लिया। धन-स्त्री के हरण होने पर सुग्रीव दुखी होकर हनुमान आदि चार मंत्रियों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगे। सीता जी का हरण हो जाने पर भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ उन्हें खोजते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर आए।हनुमान जी श्रीराम-लक्ष्मण को आदरपूर्वक सुग्रीव के पास ले आए और अग्नि के साक्षित्व में श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। भगवान श्रीराम ने एक ही बाण से बालि का वध करके सुग्रीव को निर्भय कर दिया। बालि के मरने पर सुग्रीव किष्किन्धा के राजा बने और अंगद को युवराज पद मिला। इसके बाद सुग्रीव ने असंख्य वानरों को सीता जी की खोज में भेजा। म्योहर गांव में रामलीला के मंचन
म्योहर गांव में चल रही रामलीला के मंचन में मंगलवार को कलाकारों ने शबरी, राम व लक्ष्मण के मिलन का मंचन किया गया। राम व लक्ष्मण सीता माता की खोज के लिए एक वन से दूसरे वन में भटक रहे थे। तभी आश्रम में बैठी शबरी भगवान के लिए बेर तोड़कर लाई। उन बेरों को वह चखने के बाद प्रभुराम को खिलाया। जूठे बेर खाने के बाद राम ने विश्राम किया। रामलीला समिति के अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि रामलीला का मंचन कई साल से किया जा रहा है, जिसे देखने के लिए कई गांव के लोग एकत्रित होते रहे है।
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सीता विवाह की लीला का हुआ मंचन
संसू, चरवा : गांव में चल रहे रामलीला के मंचन में मंगलवार की रात सीता विवाह का मंचन किया, जो रश्मों से भरा रहा। गुरु विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम व लक्ष्मण के साथ जनकपुरी पहुंचे तो शिव धनुष तोड़ने के बाद सीता ने प्रभु राम के गले जयमाला डाल दिया। विवाह के समय पौपुजी हुई। प्रधान पति दीपक पांडेय समेत कई लोगों ने राम व सीता का पांव पूजा। लीला में सबसे मनमोहक पल तब आया जब कलेवा की रस्म हुई और भगवान रूठ गए। उन्हें मनाने के लिए भक्त मिन्नतें करने लगे। छोटे भाई लखन के नखरे भी चढ़ गए और उन्होंने सासू मां सुनैना का आंचल पकड़ लिया। उन्हें मनाने के लिए जनकपुरी में गीत गाए जाने लगे। घंटे भर मिन्नत कराने के बाद भगवान कलेवा खाने के लिए राजी हुए।