बारिश से चौपट हो रही दलहनी और तिलहनी फसल, खेतों में भरा पानी, अन्नदाता चितित
पहले से ही मौसम व महंगाई की मार झेल रहे किसानों के लिए हो रही तेज बरसात आफत बन रही है। सितंबर महीने के अंतिम दिनों तिलहन फसल कटाई के समय रुक-रुक कर हो रही बारिश से खेतों मे खड़ी तिल व उर्दू मूंग दलहनी खेती चौपट हो रही है। तराई क्षेत्र के खेतों मे अधिक पानी भर जाने से बाजरे व धान की फसल गिरकर बर्बाद हो गई।
कौशांबी। पहले से ही मौसम व महंगाई की मार झेल रहे किसानों के लिए हो रही तेज बरसात आफत बन रही है। सितंबर महीने के अंतिम दिनों तिलहन फसल कटाई के समय रुक-रुक कर हो रही बारिश से खेतों मे खड़ी तिल व उर्दू, मूंग, दलहनी खेती चौपट हो रही है। तराई क्षेत्र के खेतों मे अधिक पानी भर जाने से बाजरे व धान की फसल गिरकर बर्बाद हो गई। जिसकी वजह से उत्पादन में कमी आने से आर्थिक नुकसान होने से किसानों के माथे पर चिता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं।
सिराथू क्षेत्र के दर्जनों गांव के सैकड़ों किसानों ने इस साल लगभग तीन सौ बीघे के रकबे में तिल व मूंग की फसल की खेती की थी। पक कर तैयार हुई तिल व मूंग की फसल की कटाई के समय बरसात होने से खेतों में खड़ी 50 फीसद फसल सड़ कर खराब हो गई। गोविदपुर गोरियों गांव के किसान छेद्दन ने बताया कि उसने इस बार दो बीघे तिलहन व उर्द, मूंग की फसल की बोआई की थी ।फसल तैयार होने के बाद हो रही बरसात की वजह से कटाई नहीं हो पा रही। इस वजह से खेतों में ही फसल खराब हो गई। बरसात होने की वजह निचले इलाकों के खेतों में पानी भर गया है। जिससे बाजरे व धान की फसल गिर गई है। नगियामई के किसान मोहम्मद शमीम ने बताया कि उसकी दो बीघे की 70 फीसद फसल अधिक बरसात होने की वजह से खेत में पानी भरने से गिर गई है। जिससे उत्पादन मे कमी आयेगी। धान की फसल गिर कर बर्बाद होने से हो रहे आर्थिक नुकसान के चलते किसानों के माथे पर चिता की लकीरें दिखाई पड़ रही हैं। किसान छेद्दन लाल का कहना है कि महंगाई व मौसम की मार से किसान परेशान हो रहा है। हर साल बोआई करने के बाद किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। जिसकी वजह से किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। सरकार द्वारा भी किसानों के उत्थान के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। किसान महेंद्र के मुताबिक दो साल से मौसम की मार के चलते खेतों में फसल खराब हो जाती है। जिसकी वजह से लागत भी नहीं निकल पाती है। ऐसे में आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। महंगाई के साथ-साथ कुदरत भी किसानों का साथ नहीं दे रही है। किसान कल्लू प्रसाद ने बताया कि मुनाफे की उम्मीद को लेकर खेतों में तिलहन व मूंग की फसल की बोआई थी, लेकिन फसल तैयार होने के बाद कटाई के समय पिछड़ बारिश होने से खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो रही है। जिसकी वजह से आर्थिक नुकसान होने की चिता है। किसान महेश प्रसाद के अनुसार पहले बारिश नहीं हो रही थी, जिसकी वजह से चार बीघे खेतों में बाजरे की फसल की बोआई की थी ।तैयार होने के बाद बारिश शुरू हुई तो खेत में पानी भर गया। नतीजतन फसल गिर गई। ऐसे में 60 फीसद उत्पादन घटने की संभावना है।