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मकर संक्रांति को लेकर लोगों ने शुरू की तैयारी

हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वह घटना मकर संक्रांति कहलाती है। सूर्य के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह मुंडन सगाई गृह प्रवेश आदि होने लगते हैं लेकिन इस बार शुक्र अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 10:51 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 10:51 PM (IST)
मकर संक्रांति को लेकर लोगों ने शुरू की तैयारी

कौशांबी : हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वह घटना मकर संक्रांति कहलाती है। सूर्य के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह मुंडन सगाई गृह प्रवेश आदि होने लगते हैं, लेकिन इस बार शुक्र अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे।

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14 जनवरी को मकर संक्रांति हैं। इस पर्व को लेकर लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है। पूर्व पर गंगा स्नान व खिचड़ी का दान किया जाता है। तिलकुट, चूड़ा, गुड़ का बाजार अपने परवान पर है। बाजारों की रौनक बढ़ गई है। बाजार में कुछ ज्यादा ही चहल पहल देखने को मिल रही है। बाजारों में लाई चूड़े के साथ-साथ पतंग की बाजारें भी सज गई हैं। बच्चे ठंड के कारण स्कूल बंद होने के कारण पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। पंड़ित राम चंद्र शुक्ल ने बताया कि सूर्य भगवान की उपासना और दान के इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाते है। मकर संक्रान्ति में दक्षिणायन को देवताओं की रात अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। पूजन अर्चन से लोगों को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। अपने खेतों में उत्पादिन धान से लाई चूड़ा कुटाकर तथा गन्ने से तैयार गुड़ से विभिन्न प्रकार के सामान बनाने की परंपरा चली आ रही है। मंझनपुर, सिराथू, चायल, सरायअकिल, भरवारी, करारी आदि बाजार में जगह-जगह लाई, चूड़े की दुकान सज गई है। जहां लाई, चूड़ा, तिलवा, गुड़ और चीनी की पपड़ी, गट्टा, सहित अन्य दुकानों पर खरीदारी के लिए लोग पहुंच रहे हैं।

पुरानी परम्पराओं का बखूबी निर्वहन करते हुए अपने बहन बेटियों के घर खिचड़ी भिजवाने का कार्य तेज कर दिए हैं। जिसे घर के युवा लेकर पहुंचाते हैं। रूपनारायणपुर गोरियों के रविशंकर मिश्र का का कहना है कि मकर संक्रांति पर्व से सूर्य उत्तरायण में चले जाते है। ये दिन शुभ माने जाते है। लोग इसे खिचड़ी पर्व के रूप में भी मनाते है। बहन बेटियों के घर त्योहार से संबंधित सामान भेजने की परंपरा है। जिसे भेजा जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान कर लोग खिचड़ी का दान करते है।


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