योजनाओं से वंचित हैं सेवढ़ा गांव के लोग
संसू, कसेंदा : गांवों को विकसित करके लोगों को शहरी सुविधाएं देने के लिए भले की सरकार प्रयासरत है। विकास कार्य के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से गांवों का समुचित विकास नहीं हो पाया है। इसका जीता जागता नमूना विकास खंड नेवादा की ग्राम पंचायत सेवढ़ा है।
संसू, कसेंदा : गांवों को विकसित करके लोगों को शहरी सुविधाएं देने के लिए भले की सरकार प्रयासरत है। विकास कार्य के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से गांवों का समुचित विकास नहीं हो पाया है। इसका जीता जागता नमूना विकास खंड नेवादा की ग्राम पंचायत सेवढ़ा है।
रविवार को जागरण टीम अपने साप्ताहिक कार्यक्रम जागरण आपके द्वार के तहत उक्त गांव पहुंची तो वहां के कच्चे रास्ते, बस्ती के बीच दूषित पानी का भराव, झोपड़ी नुमाघर और आधे-अधूरे शौचालय विकास कार्यों की पोल खोल रहे थे। ग्रामीणों की मानें तो सफाईकर्मी के न आने से रास्ते में जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा है। शिकायत के बाद भी प्रधान व सचिव ने ध्यान नहीं दिया। गांव का विद्युतीकरण आधा अधूरा कराया गया है। ग्रामीणों ने विद्युतीकरण कराने की मांग विभाग के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। ग्राम पंचायत सेवढ़ा का इतिहास
वर्ष 1992 में विकास खंड नेवादा के सेवढ़ा को ग्राम पंचायत का दर्जा मिला था। उसी वर्ष प्रधानी का चुनाव कराया गया था। इस समय गांव की आबादी तीन हजार से अधिक है। पहली बार प्रधान बने रामखेलावन यादव ने मूलभूत सुविधाओं की कार्ययोजना तैयार की। राज्यवित्त व 14वें वित्त से विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च भी हुआ। इसके बाद भी ग्रामीणों को असुविधाओं के बीच जीवनयापन करना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत की विशेषता
यमुना नदी के किनारे प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर से क्षेत्र के सैकड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। हर सोमवार को यमुना घाट व शिव मंदिर में लोगों की भारी भीड़ होती है। स्नान व पूजन के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ लग जाती है। लोगों की माने तो सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके अलावा गांव में पुराना इमामबाड़ा भी है। जहां से मोहर्रम का ताजिया का जुलूस निकाला जाता है। कहते हैं लोग
- गांव के कई अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है। इसकी वजह से गरीबों को झोपड़ी नुमा घर में जीवनयापन करना पड़ रहा है।
- राममूरत - गांव के कई रास्ते कच्चे हैं। इससे लोगों को बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है। खड़ंजा लगाने की मांग ग्रामीणों ने प्रधान व सचिव से किया था। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।
- रामबहादुर - प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासीय सुविधा पाने के लिए खुली बैठक में सूची में नाम दर्ज कराया था। इसके बाद भी आवास बनाने के लिए धन नहीं दिया गया।
- चंदादेवी - शौचालय निर्माण के लिए धन नहीं दिया गया है। इसकी वजह से खुले में शौच करना पड़ता है, जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
- जवाहरलाल - गांव का विद्युतीकरण आधा अधूरा कराया गया है। इसकी वजह से गांव के दर्जनों लोगों को चिराग की रोशनी में रात बितानी पड़ रही है।
- सूरजकली - गांव में छह माह से सफाईकर्मी नहीं आया है। इससे गांव में जगह- जगह कूड़े का ढेर लगा है। इससे लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है।
-राकेश टॉप टेन समस्याएं
- गांव के कई रास्ते में नहीं लगाया गया खड़ंजा, नालियां न होने से रास्ते में दूषित पानी का भराव, पूरे गांव का विद्युतीकरण न कराने से परेशानी, धन मिलने के बाद भी नहीं पूरा हुआ शौचालयों का निर्माण
- नियमित सफाई न होने से गांव में गंदगी का अंबार, स्ट्रीट लाइट न लगने से रास्ते में अंधेरा, आवास का लाभ न मिलने से झोपड़ी में रह रहे लोग, हैंडपंप खराब होने से पेयजल की किल्लत, शौचालयों का निर्माण पूरा न होने से खुले में शौच कर रहे लोग, सूची में नाम होने के बाद भी नहीं मिल रही आवासीय सुविधा। - गांव को विकसित करने के लिए खुली बैठक कर कार्ययोजना तैयार कर ली है। प्रस्ताव के मुताबिक कार्य कराया जा रहा है। जिन व्यक्तियों का नाम सूची में नहीं है। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे लोगों को आवासीय सुविधा का लाभ देने के लिए पुन: सूची तैयार कराई गई है।
- चंद्रपाल पाल, प्रधान सेवढ़ा।