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बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषणयुक्त आहार लेना जरूरी : विधायक

आंगनबाड़ी पोषाहार योजना के तहत सोमवार को सिराथू विधायक शीतला प्रसाद पटेल ने आंगनबाड़ी केंद्र थुलगुला में नवजात शिशु गर्भवती व धात्री महिलाओं को सूखा दूध देशी घी व अन्य पोषण सामग्रियों का वितरण किया। साथ ही कुपोषणमुक्त भारत बनाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 09:58 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:58 PM (IST)
बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषणयुक्त आहार लेना जरूरी : विधायक

संसू, सिराथू : आंगनबाड़ी पोषाहार योजना के तहत सोमवार को सिराथू विधायक शीतला प्रसाद पटेल ने आंगनबाड़ी केंद्र थुलगुला में नवजात शिशु, गर्भवती व धात्री महिलाओं को सूखा दूध, देशी घी व अन्य पोषण सामग्रियों का वितरण किया। साथ ही कुपोषणमुक्त भारत बनाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी।

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एक माह से तीन वर्ष तक के सभी बच्चों व गर्भवती, धात्री महिलाओं के अलावा कुपोषित बच्चों व किशोरियों को बाल विकास परियोजना की ओर से कड़ा विकास खंड के थुलगुला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में विधायक ने चार सौ ग्राम मिल्क पाउडर के 15 हजार 384 पैकेट के अलावा साढ़े सात सौ ग्राम देशी घी, पोषाहार के पैकेट वितरित किए। विधायक ने बताया कि देश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से पोषाहार समेत कई योजनाएं संचालित हैं। पोषकयुक्त आहार लेकर अपने बच्चों को कुपोषण से बचाएं। इस मौके पर एसडीएम राजेश कुमार श्रीवास्तव, सीडीपीओ कड़ा ज्ञानमती देवी, खंड विकास अधिकारी श्वेता सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी अरविद पांडेय समेत तमाम लोग मौजूद रहे। कोरोना काल में प्रवासियों के लिए मसीहा बने अंशुल केशरवानी

कौशांबी : कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता भगवान उसकी मदद करने आते हैं। कलयुग में साक्षात भगवान के दर्शन मुश्किल हैं लेकिन कई बार कई लोग इस रूप में सामने आकर मदद को हाथ बढ़ाते हैं कि वो किसी भगवान से कम नहीं होते। ऐसे ही मदद के लिए कोरोना काल में मंझनपुर निवासी अंशुल केसरवानी ने जिनका कोई नहीं उनके लिए भगवान के रूप में मदद करने को आगे आए। लॉकडाउन के दौरान मुख्य मार्गों और चौराहों पर जाकर अपने घर लौटते अथवा दूसरे राज्यों की ओर यात्रा कर रहे प्रवासियों को खाना और पानी देकर मदद की। जब लॉकडाउन के समय में प्रवासी मजदूर पैदल अथवा बसों, ट्रकों और लॉरी में लगातार यात्रा करते हुए अपने घरों की ओर लौट रहे थे। तो उन में से कई दो, तीन या चार दिनों तक भूखे रहते थे तब ऐसे लोगों को इनके द्वारा पूड़ी, सब्जी, बिस्कुट का पैकेट बनाकर और साथ में पानी की बोतलें लेकर चौराहों एवं अन्य मुख्य मार्गों पर जाकर जरूरतमंद लोगों के बीच उन्हें बांटते थे। साथ ही क्वारंटाइन सेंटर पर आए प्रवासियों के लिए उस समय सामान उपलब्ध कराया जब उनके घर वाले उनके पास जाने में हिचकते थे। ये समाजसेवी उस समय क्वारंटाइन सेंटरों पर जाकर उनके लिए नाश्ता खाना चाय बिस्किट आदि सामान देकर उनकी जरूरतें पूरी कर रह रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसा करके लोगों के चेहरों पर खुशी देखकर उन्हें आंतरिक सुख मिलती थी।


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