अब खेती बर्बाद होने से बचाएगा देसी ड्रोन
खेतों में फसलों की बीमारी अब किसानों को आसानी से पता चल जाएगी। ट्रिपल आइटी के दो पीएचडी स्कालर ने किसानों के लिए एक विशेष प्रकार का छेसी ड्रोन बनाया है।
गुरुदीप त्रिपाठी, प्रयागराज : खेतों में फसलों की बीमारी अब किसानों को आसानी से पता चल सकेगी। यह संभव होगा खास तरह के देसी ड्रोन से। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) के दो शोध छात्रों ने इसे तैयार किया है। इस ड्रोन की खासियत यह है कि किसान इससे खेतों में दवाओं का छिड़काव भी कर सकेंगे। ट्रिपलआइटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डुअल डिग्री बीटेक और बॉयो मेडिकल इंजीनिय¨रग से एमटेक करने वाले गाजीपुर के रेतीपुर स्थित बहोरिक राय गांव निवासी पवन और नई दिल्ली के द्वारिका सेक्टर की शेफाली विनोद रामटेके ने यह देसी ड्रोन तैयार किया है। प्रोजेक्ट का नाम है देसी ड्रोन फॉर प्रीसीजन एग्रीकल्चर एंड स्मार्ट फारमिंग-कृषि-पीएस 1925। पवन ने बताया कि वह किसानों को शिक्षित और बेहतर निर्णय लेने में मदद करने के लिए इस ड्रोन पर काम कर रहे हैं। इससे किसान फसल के रोगों की पहचान करने और स्वस्थ और अस्वस्थ पौधों के बीच अंतर को आसानी से बता सकेंगे। पवन ने बताया कि उनके पिता रमेश राम और दादा राम अवतार राम उन्हें बड़ा इंजीनियर बनते देखना चाहते हैं। बकौल पवन, इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। शेफाली ने बताया कि उनके पिता विनोद कुमार रामटेके और माता ललिता रामटेके भी हमेशा उन्हें नया करने के लिए प्रेरित करती हैं। अन्य क्षेत्रों के लिए भी बना चुके हैं ड्रोन दोनों मेधावियों ने कृषि के अलावा आपदा प्रबंधन, रक्षा, ई-कामर्स, स्वास्थ्य और परिवहन आदि के क्षेत्रों के लिए खास किस्म के ड्रोन तैयार किए हैं। इसके लिए कई बार उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है। हाल ही में ग्रीस में आयोजित एक प्रतियोगिता में भी दोनों ने अपने ड्रोन का सफल प्रदर्शन किया था। दोनों टेक्नोक्रेट्स पिछले दो साल से ड्रोन पर काम कर रहे हैं।