दवा न इलाज, पशु सेवा केंद्र हो गया बदहाल
मवेशियों के इलाज के लिए अस्पताल व पशु सेवा केंद्र तो खोले गए हैं लेकिन अधिकांश जगहों पर न तो डाक्टर बैठते हैं और न ही दवाएं उपलब्ध रहती हैं। नतीजतन क्षेत्र में बीमार मवेशियों का इलाज न हो पाने की दशा में मौत हो जाती है।
मवेशियों के इलाज के लिए अस्पताल व पशु सेवा केंद्र तो खोले गए हैं, लेकिन अधिकांश जगहों पर न तो डाक्टर बैठते हैं और न ही दवाएं उपलब्ध रहती हैं। नतीजतन क्षेत्र में बीमार मवेशियों का इलाज न हो पाने की दशा में मौत हो जाती है। सिराथू में तो चिकित्सक ही नहीं है। कड़ा पशु अस्पताल के चिकित्सक को प्रभार सौंपा गया है। चतुर्थ श्रेणी कर्मी की जिम्मेदारी पर अस्पताल को छोड़ दिया गया है। ऐसे में मवेशी लेकर आने वाले पशु पालकों को काफी दिक्कत होती है।
दूसरी ओर पशुपालकों की सुविधा के लिए उदिहिन बुजुर्ग गांव में पशु सेवा केंद्र खोला गया है, लेकिन केंद्र में नियुक्त पशुधन प्रसार अधिकारी ओमप्रकाश सिंह छह महीने से नहीं आ रहे हैं। नतीजतन केंद्र में ताला लटक रहा है। इतना ही नहीं, पशु सेवा केंद्र की इमारत दुर्दशा का शिकार है। लोगों ने गोबर की खाद डालकर परिसर में अतिक्रमण कर लिया है। गांव के लोगों का कहना है कि केंद्र में चिकित्सक न आने से मवेशियों के इलाज के लिए किसान परेशान होते हैं। मजबूरन झोलाछाप का सहारा लेना पड़ता है। क्षेत्र के नंदू लाल, लालमन, रमेश सिंह, पवन मौर्य आदि लोगों का कहना है कि मवेशियों के बीमार हो जाने पर इलाज के लिए झोलाछाप का सहारा लेना पड़ता है। सरकार की ओर से बीमारी के लिए वैक्सीन तो लगाई जा रही है, लेकिन क्षेत्र में अब तक मवेशियों का गला घोंटू, खुरपका, मुंहपका, जैसी घातक बीमारियों का टीकाकरण नही कराया गया है।
---------
सिराथू पशु अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक सुशील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कड़ा पशु अस्पताल में नियुक्ति के साथ सिराथू का भी प्रभार दिया गया है। अस्पताल में फार्मासिस्ट न होने की वजह से ज्यादातर समय सिराथू अस्पताल में ही रहना पड़ता है। उदिहिन बुजुर्ग स्थित पशु सेवा केंद्र में नियुक्त पशुधन प्रसार अधिकारी ओमप्रकाश सिंह की ड्यूटी कोविड-19 कंट्रोल रूम में लगाई गई है। इस वजह से केंद्र नहीं पहुंच पा रहे हैं।