आर्थिक स्थिति के साथ सेहत सुधार रही मशरूम, एक माह की मेहनत में लागत से दस गुना मुनाफा
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहा है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर जिले के किसान धान गेहूं बाजरे आदि की पारंपरिक खेती को छोड़ कर नई किस्म की खेती को ओर रुझान कर रहे हैं। जनपद के कई किसान आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। मशरूम के सेवन से लोगों की सेहत भी सुधर रही है।
कौशांबी : किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहा है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर जिले के किसान धान, गेहूं, बाजरे आदि की पारंपरिक खेती को छोड़ कर नई किस्म की खेती को ओर रुझान कर रहे हैं। जनपद के कई किसान आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। मशरूम के सेवन से लोगों की सेहत भी सुधर रही है।
कृषि अनुसंधान केंद्र बरेली व कृषि विज्ञान केंद्र कौशांबी के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी पर जनपद के कई किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं। विकास खंड सिराथू क्षेत्र के भैसहा गांव निवसासी सुजीत कुमार कुशवाहा ने बताया कि वह पहले धान, गेहूं, आलू की खेती करते थे। इससे होने वाली आय से परिवार का खर्च नहीं चलता था। चार वर्ष पूर्व कृषि अनुसंधान केंद्र बरेली के वैज्ञानिक डा. आरके सिंह से प्रशिक्षण लेकर पांच विस्वा भूमि पर मशरूम आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम की खेती शुरू किया। बरेली से मशरूम के बीज और बैग खरीदा। करीब एक माह की मेहनत के बाद फसल तैयार होती है। करीब 50 रुपये प्रति बैग की दर से लागत लगाने के बाद प्रतिदिन 30-50 किलो मशरूम का उत्पादन मिलने लगा है। इन दिनों 225-250 रुपये की दर से मशरूम को बेचकर अच्छा लाभ कमा रहा हूं। कहा कि एक बैग में 450 रुपये का लाभ हो रहा है। विकास खंड कड़ा क्षेत्र के नेदुरा गांव के शिव प्रताप ने बताया कि वह पिछले तीन वर्ष से मशरूम की खेती कर रहे है। इसी प्रकार भैसहा गांव के शिव कुमार विकास खंड मूरतगंज क्षेत्र के उमरछा गांव के अजीत कुमार भी पिछले दो वर्ष से मशरूम की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। जिले में लगातार मशरूम की खेती का क्षेत्र फल बढ़ रहा है। इससे किसानों को अच्छा लाभ भी हो रहा है। ऐसे तैयार करे आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम
कृषि विज्ञान केंद्र कौशांबी के वैज्ञानिक डा. मनोज सिंह ने बताया कि आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम तीन माह की फसल है। एक कच्चे मकान में बीज को एक पॉलीथिन में डाल कर उसमें चार-पांच किलो धान की भूसी या गन्ने का सुखा छिलका भरा जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि पालीथिन बिलकुल टाइट रहे। इसके बाद बैग को रस्सी के सहारे टांग दिया जाता है। पालीथिन में नमी रहे। इसके लिए समय-समय पर पानी का हल्का छिड़काव जरूरी होता है। 25 दिन से एक माह में मशरूम का उत्पादन शुरू हो जाता है। एक बैग में तीन से चार किलो तक मशरूम प्राप्त किया जा सकता है। मशरूम की खेती जहां पर करें। वहां अंधेरा होना चाहिए। आर्गेनिक ओएस्टर मशरूम खाने के फायदे
मंझनपुर पीएचसी प्रभारी डा. अरुण पटेल ने बताया कि मशरूम कैंसर रोधी है। इसका सेवन कैंसर के मरीज के लिए लाभदायक है। मधुमेह व हृदय रोग में भी फायदेमंद है। इसमें पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन निर्माण, फाइबर, रेशा की अधिकता, पोटेशियम की अधिकता, वसा, कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। कहा कि गठिया रोगी और ट्यूमर के रोग से परेशान लोग भी खा सकते हैं। इसमें विटामिन बी, विटामिन 12, फारलेट, थाईमीन, नियासिन की प्रचुर मात्रा व आयरन व फास्फोरस की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। यह मशरूम स्वास्थ्यवर्धक, औषधि गुणों से परिपूर्ण, रोग निरोधक, सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। इसमें बहुत ही ज्यादा मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।