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महर्षि की तपस्या से हिल उठा देवराज का ¨सघासन

संसू, करारी : नगर की ऐतिहासिक रामलीला के पहले दिन नारादमोह की लीला मंचन किया गया। उत्तर भारत के कोने-कोने से आए चु¨नदा कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं जय श्री राम के गगनभेदी जयघोष से इलाके का माहौल भक्तिमय हो गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 09:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 09:24 PM (IST)
महर्षि की तपस्या से हिल उठा देवराज का ¨सघासन
महर्षि की तपस्या से हिल उठा देवराज का ¨सघासन

संसू, करारी : नगर की ऐतिहासिक रामलीला के पहले दिन नारादमोह की लीला मंचन किया गया। उत्तर भारत के कोने-कोने से आए चु¨नदा कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं जय श्री राम के गगनभेदी जयघोष से इलाके का माहौल भक्तिमय हो गया।

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दरअसल हिमालय की मनोरम वादियां देवर्षि नारद को भा जाती हैं और वह वहीं तपस्या करने लगते हैं। उनके तपोबल से देवराज इंद्र का ¨सघासन हिलने लगता है। इससे भयभीत इंद्र अपने प्रिय मित्र कामदेव को उर्वसी, रंभा, मेनका आदि अफसरों के साथ देवर्षि की तपस्या भंग करने के लिए भेजते हैं। नारद जी को कामदेव पर विजय पा लेने का घमंड हो जाता है। तमाम देवताओं के मना करने के बाद भी वो यह बात जाकर भगवान विष्णु को बताते हैं। इसपर नारद का अहंकार चूर करने के लिए विष्णु भगवान माया की नगरी का निर्माण करते हैं। इनमें मोहिनी के स्वयंवर का आयोजन होता है। विष्णु जी उन्हें वानर का रूप दे देते हैं। जिससे स्वयंवर सभा में उनका उपहास होता है और अहंकार भी दूर हो जाता है। बाद में भगवान विष्णु स्वयंवर में पहुंचकर मोहिनी से अपने गले में वरमाला डलवा लेते हैं। इसी से नाराज नारद विष्णु जी को श्राप देते हैं कि विपत्ति की घड़ी में वानर-भालू ही उनकी मदद करेंगे। इसी श्राप के चलते त्रेता युग में विष्णु जब भगवान राम के रूप में अवतरित होते हैं तो सीता हरण के वक्त रावण वध करने में वानर सेना उनकी मदद करती है।

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खचाखच भरा रहा रामलीला परिसर

करीब 2000 की क्षमता वाला करारी रामलीला मैदान खचाखच भरा रहा। भावविभोर दर्शक जय श्री राम के जयकारे लगाते रहे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रामलीला कमेटी के प्रबंधक पवन कुमार शर्मा ने पुलिस प्रशासन से अतिरिक्त फोर्स की व्यवस्था मांगी है। जिससे रामलीला सुचारू रूप से चलती रहे और महिला पुलिस की मौजूदगी की मांग की है। पहली रात पुलिस को पसीना बहाना पड़ा। कमेटी अध्यक्ष सुनील जायसवाल ने बताया कि भीड़ कंट्रोल करने के लिए अगली लीलाओं में मैदान के बाहर प्रोजेक्टर लगवा दिया जाएगा। सोशल मीडिया पर छाई रामलीला

रामलीला का मंचन बेहतर रहा। इसलिए कमेटी ने आधे-आधे घंटे का मंचन यूट्यूब पर अपलोड करवाया। आम दर्शकों ने यू ट्यूब पर भी इसे देखा और कुछ लोगों ने इसे फेसबुक, वाट्सएप और ट्वीटर पर शेयर किया। इससे विदेशों में रहने वाले भी अपने नगर की रामलीला देख सकते हैं। ताड़का वध व अहिल्या उद्धार का हुआ मंचन

संसू, अझुवा : कस्बे में मुकुन पूजा के बाद शुरू हुई रामलीला में बुधवार को ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, गंगा अवतरण, फुलवारी लीला का मंचन हुआ। जिसे देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के लोग एकत्रित हुए।

नगर में चल रही रामलीला में कलाकारों ने ताड़का वध व अहिल्या उद्धार का आकर्षक मंचन किया। जिसके बाद गंगा अवतरण व फुलवारी लीला भी आयोजित हुई। मंचन में कलाकारों ने दिखाया कि राक्षसों के आंतक से त्रस्त होकर मुनि विश्वामित्र मिथिला नरेश राजा जनक के यहां पहुंचते हैं और उनको दोनों पुत्र राम-लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगते हैं। जिसके बाद मुनि राम-लक्ष्मण को लेकर वन पहुंचते हैं और उन्हें शास्त्र विद्या में निपुण कर देते हैं। इस बीच यज्ञ का आयोजन हुआ। जिसमें विघ्न डालने के लिए राक्षस पहुंच गए। भगवान राम ने सभी का संहार किया। इस दौरान राक्षसी ताड़का का भी प्रभु ने वध कर दिया। वन में गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या पर राम के चरण लगते ही वह पुन: स्त्री रूप धारण कर लेती हैं। इस तरह से अहिल्या उद्धार का भी मंचन किया गया। उसके बाद अन्य लीला भी आयोजित हुई। इसे देखने के लिए सैकड़ों लोग उपस्थित हुए। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार बड़का, गुलाब कुशवाहा, आशीष मोदनवाल, रवि वैश्य, फूलचंद केसरवानी, अनिल बाबा, राजू, पप्पू आदि उपस्थित रहे।


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