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फ्रूट राइपनिग चैंबर बने तो खुशहाल हो किसान, पांच ब्लाकों में चैंबर बनाने की है योजना

जनपद में बड़े पैमाने पर केले व आम की बागवानी होती है। तैयार होने के बाद केले के फल को किसान कच्चा ही व्यापारियों को कम दाम पर बेच देते हैं। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 14 Nov 2021 11:30 PM (IST)
फ्रूट राइपनिग चैंबर बने तो खुशहाल हो किसान, पांच ब्लाकों में चैंबर बनाने की है योजना

कौशांबी। जनपद में बड़े पैमाने पर केले व आम की बागवानी होती है। तैयार होने के बाद केले के फल को किसान कच्चा ही व्यापारियों को कम दाम पर बेच देते हैं। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता है।

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किसानों से केला व आम खरीदकर व्यापारी केमिकल से उसे पकाते हैं। इससे लोगों की सेहत बिगड़ रही है। किसानों को फल का उचित दाम मिले। इसके लिए केले व आम के पकाने के लिए उद्यान विभाग ने पांच विकास खंडों में फ्रूट राइपनिग चैंबर बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए एक जनपद एक उत्पाद योजना से वर्ष 2019 में चार करोड़ 10 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। धन न मिलने से अभी योजना अधर में लटकी है।

जिले में केला व आम का उत्पादन बहुतायत होता है। किसानों की आय का सबसे बड़ा साधन केला है लेकिन किसान इस केले को कच्चा ही बेचते हैं। इसके कारण इनसे अधिक अधिक लाभ कच्चा केला खरीदने वाले कारोबारी को होती है। किसानों की आय बढ़ाने और उनको बेहतर सुविधा देने के लिए उद्यान विभाग ने योजना तैयार की है। योजना के अनुसार केले का उत्पादन करने वाले ब्लाकों में फ्रूट राइपनिग चैंबर का निर्माण कराते हुए इसमे कच्चे केले को कुछ दिनों तक रखने और पकाकर बेचने की सुविधा दी जानी थी। उद्यान विभाग ने मंझनपुर, मूरतगंज, चायल, नेवादा व कौशांबी ब्लाक में करीब 80 लाख की योजना से फ्रूट राइपनिग चैंबर बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा। वर्ष 2019 में भेजे गए इस प्रस्ताव पर अब तक अमल नहीं हो सका। धन न मिलने से योजना अधर में लटकी है। कैसे किसान का होता लाभ

उद्यान विभाग के प्रस्ताव पर गौर करें तो विभाग ने बताया है कि जिले में केले का उत्पादन होता है। इसे प्रयागराज, दिल्ली, जबलपुर व कानपुर के कारोबारी खरीदकर ले जाते हैं। जिससे केमिकल व अन्य तरीके से पकाने के बाद वह केले को अच्छे दाम में बेचते हैं। यदि कौशांबी का किसान खुद केला पकाएं तो उसे अच्छा लाभ होगा। फ्रूट राइपनिग चैंबर में इस प्रकार की सुविधा होगी कि किसान का केला महीनों इसमें खराब नहीं होगा। किसान चाहे तो केले को पका भी सकता है। उसका केला पकने के बाद भी करीब 20 दिनों तक पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है। इस दौरान वह खुलकर सौदेबाजी करते हुए केले के अच्छे दाम वसूल सकता है। यहां होता है ज्यादा उत्पादन :

कौशांबी ब्लाक : नगरेहा, बेरुई, रक्सराई, फरीदपुर समरो, परड़िया सुकवारा।

मंझनपुर ब्लाक : अगियौना, अर्का, मोअज्जमपुर, करारी, पिडरा सहावनपुर।

मूरतगंज ब्लाक : रसूलपुर कोजी, मकदूमपुर काजी, सिहोरी, चपहुंआ।

नेवादा ब्लाक : बरेठी, कमालपुर, दुल्हापुर, पुरखास, तिल्हापुर व नेवादा


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