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यहां तो साहब को दिखाने के लिए होती है फागिग

नगर पालिका मंझनपुर कहने को तो यह जिले का मुख्यालय है लेकिन दिन के भीड़ भाड़ के बाद यहां की शाम और रात लोगों के लिए परेशानी भरी होती है। मच्छरों का प्रकोप इस प्रकार है कि आप खुले में कुछ देर तक बैठ नहीं सकते। कमरे के अंदर मच्छर भगाने की वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो रात में सोना भी दूभर होगा। नगर पालिका ने करीब एक माह पहले दो बार दवा का छिड़काव भी कराया है। इसके बाद यदि यह स्थिति है तो विभाग का प्रयास कितना सार्थक है इसका नतीजा खुद निकाल सकते हैं। नगर पालिका के अधिकारी भी कम नहीं है। वह भी दवा का छिड़काव इस प्रकार करते हैं कि अफसर जान जाएं कि नगर पालिका ने फागिग कराया है। तेज रफ्तार में धुंआ उड़ाते गाड़ी आई और चली गई। उनका भी कोरम पूरा और अधिकारी भी जान गए कि फागिग कर दी गई लेकिन मच्छर हैं कि यह मानते ही नहीं की फागिग की जा चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 10:48 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:48 PM (IST)
यहां तो साहब को दिखाने के लिए होती है फागिग
यहां तो साहब को दिखाने के लिए होती है फागिग

कौशांबी : नगर पालिका मंझनपुर कहने को तो यह जिले का मुख्यालय है, लेकिन दिन के भीड़ भाड़ के बाद यहां की शाम और रात लोगों के लिए परेशानी भरी होती है। मच्छरों का प्रकोप इस प्रकार है कि आप खुले में कुछ देर तक बैठ नहीं सकते। कमरे के अंदर मच्छर भगाने की वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो रात में सोना भी दूभर होगा। नगर पालिका ने करीब एक माह पहले दो बार दवा का छिड़काव भी कराया है। इसके बाद यदि यह स्थिति है तो विभाग का प्रयास कितना सार्थक है इसका नतीजा खुद निकाल सकते हैं। नगर पालिका के अधिकारी भी कम नहीं है। वह भी दवा का छिड़काव इस प्रकार करते हैं कि अफसर जान जाएं कि नगर पालिका ने फागिग कराया है। तेज रफ्तार में धुंआ उड़ाते गाड़ी आई और चली गई। उनका भी कोरम पूरा और अधिकारी भी जान गए कि फागिग कर दी गई, लेकिन मच्छर हैं कि यह मानते ही नहीं की फागिग की जा चुकी है।

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मंझनपुर नगर पंचायत का विस्तार करते हुए उसे नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया है। इतना ही नहीं विस्तार के साथ ही आसपास के 17 गांव को नगर पालिका में जोड़ दिया गया है, लेकिन यहां की व्यवस्था आज भी गांव की तरह ही चल रही है। न तो समय पर सफाई कर्मचारी पहुंचता है और न ही नाली व तालाब से गंदगी हटी है। इसके कारण मच्छरों का प्रकोप पढ़ रहा है। मच्छरों से बचाव कि वैकल्पिक व्यस्था न करें तो पूरे कस्बे की हालत एक जैसी है। रात के समय तो कही पर राहत ही नहीं, यदि चंद मिनट के लिए पंखे बंद हो जाएं, या फिर मच्छर भगाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो रहना मुश्किल है। कहने को तो नगर पालिका क्षेत्र में मार्च माह में दो बार दवा का छिड़काव हुआ है, लेकिन इस दवा को कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके पीछे माना जा रहा है कि वाहन केवल और केवल अफसरों के दरवाजे पर ही अधिक ध्यान दे रहा था। अन्य स्थानों पर धुंआ उड़ाते हुए वाहन तेजी से गुजर गया। ऐसे में मच्छर मरे ही नहीं। जो अब परेशानी का कारण बने हैं।

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अच्छा है आप ने पूछ लिया कि मच्छरों से क्या परेशानी है। यहां तो आधी उम्र बीत गई पर आज तक किसी ने इस प्रकार की समस्या को लेकर बात नहीं की। स्थिति यह है कि रात में यदि छत पर सोना पड़े तो नींद आना कठिन है।

मदन लाल केसरवानी नगर पालिका क्षेत्र में हमारा गांव आता है। यह सुनकर खुशी होती है, लेकिन अब तक समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। गांव की नालियों में मच्छर पनप रहे हैं। तालाब की गंदगी भी इनका पोषण कर रही।

राशिद खान, समदा नगर पालिका ने दो बार फागिग कराया है, लेकिन यह फागिग केवल कुछ विशेष वार्ड एवं स्थानों तक ही सीमित है। अन्य कस्बे के लोगों को इस समस्या से जूझने के लिए छोड़ दिया गया है। नगर पालिका भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही।

आरिफ खान, समदा गांव छोड़कर हम मंझनपुर कस्बे में परिवार समेत रहने लगे। यहां पर सुविधा तो कम है, लेकिन परेशानी ज्यादा है। हर काम के लिए लोगों के चक्कर लगाना पड़ता है। रात में मच्छरों के कारण सोना कठिन है।

अनुज, भड़ेसर


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