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प्रधानों पर जिले के अफसर मेहरबान!

नीरज सिंह, कौशांबी : जिले के 27 गांवों के विकास कार्यो के लिए आई धनराशि में लाखों की हेराफेरी का प्रधानों पर आरोप लगा है। इसकी शिकायत शपथ पत्र के साथ उच्च अधिकारियों से हुई तो जांच के लिए अफसरों की टीम गठित की गई लेकिन अफसरों की मेहरबानी से जांच महीनों बाद भी नहीं हुई। मामला डीएम तक पहुंचा तो उन्होंने 15 दिनों में सभी जांच पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 06:58 PM (IST)
प्रधानों पर जिले के अफसर मेहरबान!
प्रधानों पर जिले के अफसर मेहरबान!

नीरज सिंह, कौशांबी : जिले के 27 गांवों के विकास कार्यो के लिए आई धनराशि में लाखों की हेराफेरी का प्रधानों पर आरोप लगा है। इसकी शिकायत शपथ पत्र के साथ उच्च अधिकारियों से हुई तो जांच के लिए अफसरों की टीम गठित की गई लेकिन अफसरों की मेहरबानी से जांच महीनों बाद भी नहीं हुई। मामला डीएम तक पहुंचा तो उन्होंने 15 दिनों में सभी जांच पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है।

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गांव में विकास कार्यो को लेकर प्रधानों के साथ ही अन्य जिम्मेदार कर्मचारियों ने जमकर खेल किया है। इसका आलम यह रहा कि जिस काम के लिए लाखों के धन की निकासी हुई। वह काम नहीं हुआ। इस गड़बड़झाले को लेकर गांव के लोगों ने शपथ पत्र के साथ शिकायत भी की, लेकिन जिन अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी दी गई। वह जांच करने गांव ही नहीं गए। कुछ अधिकारियों ने जांच की भी तो रिपोर्ट इस स्तर की नहीं है कि कोई कार्रवाई की जा सके। अधिकारियों ने दोबारा जांच का निर्देश दिया है। महीनों बाद भी रिपोर्ट अधिकारियों को नहीं सौंपी है। रिमाइंडर भी भेजा गया। डीएम ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें लापरवाह अधिकारियों की फटकार लगाई।

यह अधिकारी हैं जांच के घेरे में

सबसे अधिक छह शिकायतें पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी के पास लंबित है। दूसरे नंबर पर डीडी ग्राम्य विकास व डीपीओ के पास तीन-तीन शिकायतें लंबित हैं। सहायक आयुक्त निबंधक, डीडी कृषि, बीएसए, जिला पूर्ति अधिकारी व समाज कल्याण अधिकारी के पास दो-दो शिकायत लंबित हैं। जिला प्रोबेशन, जिला पशु चिकित्साधिकारी, जिला विकास अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी व डीआइओएस के पास एक-एक शिकायतें लंबित हैं। इन गांवों की जांच में हो रही लापरवाही

चायल तहसील क्षेत्र के गांव

रैयादेहमाफी की जांच पीडी व अवर अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण विभाग नेवादा को 28 अगस्त को दी गई। अब तक जांच के बाद आख्या नहीं दी। औधन की जांच पीडी व सहायक विकास अधिकारी मंझनपुर को 20 जनवरी को दी गई। समसपुर की जांच 19 जुलाई को जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व अवर अभियंता ग्रामीण अभिकरण चायल को दी। अब तक आख्या नहीं दी। तिलगोड़ी नेवादा की जांच 15 फरवरी को जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस कौशांबी को दी गई है। उमरछा की जांच जिला कार्यक्रम अधिकारी व जेई आरईएस कौशांबी को 24 मार्च को मिली है। दोनों ने अब तक जांच नहीं किया। इसकी जांच एडीएम को भी दी गई थी, वह एक दिन शाम को गए और जांच की औपचारिकता करके चले आए। बसुहार गांव की जांच 15 सितंबर को सहायक आयुक्त सहकारी समिति, सहायक अभियंता अस्थाई खंड पीएमजीएसवाई को दी गई। सिराथू तहसील क्षेत्र के गांव

पथरावां की जांच उपश्रमायुक्त व अवर अभियंता ग्रामीण अभिकरण विभाग मंझनपुर को मई में दी। मामला न्यायालय में लंबित होने से दो माह में जांच कर रिपोर्ट देनी थी। कैमा की जांच एक जून को जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस कड़ा को दी थी। टेंगाई गांव की जांच 23 जून को जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस कड़ा को दी। करनपुर सौरई की जांच जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस कौशांबी को मिली है। 17 फरवरी को मिली जांच की रिपोर्ट अधिकारियों ने विभाग को दी है, लेकिन उन्होंने दूसरी जांच रिपोर्ट सौंप दी। 20 जुलाई को दोबारा जांच के लिए कहा लेकिन अब तक जांच की नहीं की है। मधवामई की जांच छह अप्रैल को जिला कार्यक्रम अधिकारी व जेई आरईएस सरसवां को दी गई थी। टीकरडीह गांव की जांच 31 अगस्त 2018 को डीडी कृषि व जेई आरईएस मंझनपुर को दी गई है। कोर्रों गांव की जांच 16 मई को जिला विद्यालय निरीक्षक व जेई आरईएस कौशांबी को सौंपी गई थी। बारतफारीक गांव की जांच बीएसए को 29 सितंबर को मिली थी।

मंझनपुर : गड़बड़ी की जांच कर अधिकारियों को नहीं सौंपी रिपोर्ट

मंझनपुर तहसील क्षेत्र के गांव में अफसरों ने गांवों में हुई गड़बड़ियों की जांच करके अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं सौंपी है। इससे दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पश्चिमशरीरा की जांच 29 दिसंबर 2017 को जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस सरसवां को मिली है। रसूलपुर सोनी गांव की जांच 14 मार्च को जिला कार्यक्रम अधिकारी व जेई आरईएस सरसवां को दी गई है। जुगराजपुर गांव की जांच सहायक आयुक्त एवं निबंधक सहकारी समितियां व जेई आरईएस को 28 अक्टूबर को दी गई है। मुस्तफाबाद की जांच 22 अगस्त को उप निदेशक कृषि को सौंपी गई थी। अलवारा गांव की जांच की जिम्मेदारी 19 जुलाई को बीएसए व जेई आरईएस मंझनपुर को मिली थी। ओसा गांव की जांच 12 जून को जिला पूर्ति अधिकारी व जेई आरईएस कौशांबी को दी गई है। ऊनो गांव की जांच छह अप्रैल को जिला पूर्ति अधिकारी व बलदेव पांडेय जेई लोक निर्माण को दी गई है। पवैया गांव की जांच पांच अक्टूबर को जिला समाज कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस सरसवां को दी गई है। कनैली गांव की जांच 22 अगस्त को जिला समाज कल्याण अधिकारी व जेई आरईएस को दी गई थी। इसके बाद मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व सुभेदु कुमार अवर अभियंता पीडब्लूडी को भी जांच अधिकारी नामित कर दिया गया। उन्होंने इस मामले को लेकर अब तक अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं की। सड़वा गांव की जांच 31 अगस्त को जिला कृषि अधिकारी व अवर अभियंता आरईएस कौशांबी को दी गई है। घमसिरा गांव की जांच 29 अक्टूबर को जिला विकास अधिकारी व अवर अभियंता विकास खंड नेवादा को सौंपा है। ऐलई गांव की जांच 29 अगस्त को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी व जेई आरईएस कौशांबी को सौंपा है। दोनों ने अब तक इसकी रिपोर्ट अधिकारियों को नहीं सौंपा। उनो गांव की जांच 28 अप्रैल को जिला प्रबोशन अधिकारी व शीशपाल ¨सह सहायक अभियंता पीएमजीएसवाई को सौंपा है।

कहते हैं अधिकारी

- जिन अधिकारियों ने अब तक जांच पूरी नहीं सौंपी है। उन सभी को चेतावनी दी गई है। 15 दिनों में उन्होंने जांच पूरा कर अपनी आख्या नहीं दी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- मनीष कुमार वर्मा, डीएम कौशांबी।


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