छात्रों में पर्यावरण संरक्षण का संस्कार से धरती पर आएगी हरियाली
हम सभी धन्य है जो कि हम पृथ्वी जैसे उपग्रह के वासी है जहां पर हमारी सभी जरूरते पूरी होती हैं लेकिन हम सभी अपनी जरूरत और सहूलियतों के चलते प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिए हैं।
कौशांबी। हम सभी धन्य है जो कि हम पृथ्वी जैसे उपग्रह के वासी है जहां पर हमारी सभी जरूरते पूरी होती हैं लेकिन हम सभी अपनी जरूरत और सहूलियतों के चलते प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिए हैं।
प्राथमिक विद्यालय पेरई, नेवादा कौशांबी के प्रधानाध्यापक हरीओम सिंह ने कहा कि नित्य प्रति बढ़ती जनसंख्या और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई एक ऐसा कारण है जो नित्य प्रति प्रकृति के साथ घुन का काम कर रहा है । आज स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण बहुत ही जरूरी है।पर्यावरण संरक्षण पर बहुत सारी सरकारी नीतियां बनी है, जिसमें जनपद, राज्य और केंद्र की नीति बनी है। पर्यावरण संरक्षण कानून भी बन गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा। नीति निर्देशक तत्वों में भी पर्यावरण का उल्लेख किया गया है। मगर पर्यावरण की स्थिति सही होने की बजाय खराब होती गई। खराब पर्यावरण की वजह से प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। किसी को श्वांस, याददाश्त कम हो रही है। यह सब प्रदूषित वातावरण की वजह से हो रहा है। प्रदूषित पर्यावरण को जब तक शुद्ध बनाने के लिए जब तक पर्यावरण को संरक्षित नहीं किया जाएगा तब तक स्वस्थ जीवन की कल्पना करना बेमानी होगी। आज जरूरत है पर्यावरण संरक्षण को संस्कार के रूप में भावी पीढ़ी के बच्चों में पंहुचाने की। यह तभी संभव है जब हम बच्चों को विद्यालय में पर्यावरण से संबंधित तमाम सारी कहानियां बताएं जिसमें शुद्ध पर्यावरण के लाभ व अशुद्ध पर्यावरण की हानियां समाहित हों जिससे बच्चे स्वयं ही पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु जागरूक हो सकें। विद्यालय में पौधारोपण कराकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी छात्रों को ही बांट देनी चाहिए जिससे वो वृक्ष के विकसित होने में क्या क्या कठिनाइयां आती हैं उनसे परिचित हो सकें। देखभाल की जिम्मेदारी बांटने से उनके अंदर पर्यावरण संरक्षण के संस्कार का विकास होगा। साथ ही गांव में अभिभावकों व ग्रामीणों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करते हुए उसके महत्व को बताकर पौधों के रोपण व उसके संरक्षण की जिम्मेदारी से अवगत कराना चाहिए । आइये आज हम सभी प्रण लें कि हम अपनी धरती और पर्यावरण की रक्षा करेंगे क्योंकि आने वाली पीढ़ी के लिए हरी-भरी और खुशहाल धरती ही हमारी ओर से एक बहुमूल्य उपहार होगी।