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सात प्रचीन वृक्षों को सरकार ने दिया विरासत का दर्जा

प्रदेश सरकार ने सौ वर्ष से पुराने व ऐतिहासिक महत्व से जुड़े वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है। जिसमें जनपद के सात वृक्ष शामिल हैं। अब वन व पुलिस विभाग इन वृक्षों का संरक्षण करेगा। साथ ही इन धार्मिक स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 10:26 PM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 10:26 PM (IST)
सात प्रचीन वृक्षों को सरकार ने दिया विरासत का दर्जा

कौशांबी : प्रदेश सरकार ने सौ वर्ष से पुराने व ऐतिहासिक महत्व से जुड़े वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है। जिसमें जनपद के सात वृक्ष शामिल हैं। अब वन व पुलिस विभाग इन वृक्षों का संरक्षण करेगा। साथ ही इन धार्मिक स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा।

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ऐसे पुराने वृक्ष जिनसे क्षेत्र के लोगों की आस्था जुड़ी है और वहां पर स्थानीय लोग पूजा पाठ भी करते हैं। इन वृक्षों को प्रदेश सरकार ने विरासत श्रेणी में रखा है। जिन पुराने वृक्षों को विरासत श्रेणी में रखा गया है। उनमें मंझनपुर तहसील क्षेत्र के दीवर कोतारी गांव स्थित बट वृक्ष, नेवादा के अमवा गांव स्थित पीपल का वृक्ष, कड़ा के नागा आश्रम स्थित पीपल व बरगद का वृक्ष, सिराथू क्षेत्र के टेंगाई गांव स्थित वट वृक्ष, सेलरहा के मसुरिया माता स्थित पीपल का वृक्ष शामिल हैं। बुजुर्गों की माने तो जिन वृक्षों को विरासत की श्रेणी में सरकार ने रखा है। वह 500 वर्ष से अधिक पुराने हैं। सभी वृक्षों पर देवताओं की मूर्ति रखकर क्षेत्रीय लोग दशकों से पूजा कर रहे हैं। पूर्व में वन विभाग ने इन वृक्षों को चिन्हित कर उन्हें ऐतिहासिक विरासत घोषित कराने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। शुक्रवार को राज्य विविधता बोर्ड उच्च स्तरीय समिति की बैठक में प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण सुधीर गर्ग ने विरासत वृक्षों पर मुहर लगाई है। अब इन वृक्षों की देखरेख करने के लिए प्रशासन व वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश भी दिया गया है।

मंझनपुर तहसील क्षेत्र के कोतारी स्थित वट वृक्ष का स्थान महाबली बाबा के स्थान के नाम से जाना जाता है। यहां पर मां दुर्गा व हनुमान जी मंदिर भी बनाई है। पुजाजी गुलाब बाबा का कहना है। यह वृक्ष 1200 वर्ष पुराना है। यहां पर हर दिन पूजा पाठ करने के लिए भक्त आते हैं। मानना है कि पूजन से मन की मुराद पूरी होती है।

पुजारी गुलाब दास कड़ा के नागा आश्रम स्थित पीपल व बरगद का वृक्ष लगभग 1000 वर्ष पुराने हैं। इन वृक्षों से लोगों की आस्था जुड़ी है। गंगा स्नान के लिए आने वाले सभी भक्त इनकी पूजा करते हैं।

राकेश पांडेय नागा आश्रम स्थित वट वृक्ष की वैसे से हर दिन पूजा भक्तगण करते हैं, लेकिन सोमवती अमावस्या पर्व पर दर्जनों गांव की महिलाएं यहां पर पूजन कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

बीरेंद्र पाठक, तीर्थ पुरोहित कड़ा के नागा आश्रम स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे अनुमान जी मंदिर बनाई गई है। ये वृक्ष काफी पुराना है। लोगों का मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस पीपल के वृक्ष व अनुमान जी पूजा करते हैं। उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

राजकिशोर, तीर्थ पुरोहित


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