गंगा और यमुना उफनाई, दर्जनों गांव प्रभावित
जासं, कौशांबी : पहाड़ों पर हो बारिश से जिले की गंगा व यमुना अब उफान पर हैं। पिछले सप्ताह से नदियों में लगातार बढ़ रहे पानी ने बाढ़ का रूप लेना शुरू कर दिया है। गंगा व यमुना किनारे के दर्जनों गांव प्रभावित हो रहे हैं। लोगों की फसलें डूब गई हैं। गंगा घाटों पर पानी खतरे के निशानके निकट है। मंगलवार को एसडीएम सिराथू ने गंगा व चायल के एसडीएम ने यमुना के प्रभावित गांवों का दौरा किया। अफसरों ने नदी किनारे गांव के लोगों को सुरक्षित करने के लिए गांव के बाहर कैंप बना दिया है। उफान में आई नदियों के चलते लोग दहशतजदा हैं।
जासं, कौशांबी : पहाड़ों पर हो बारिश से जिले की गंगा व यमुना अब उफान पर हैं। पिछले सप्ताह से नदियों में लगातार बढ़ रहे पानी ने बाढ़ का रूप लेना शुरू कर दिया है। गंगा व यमुना किनारे के दर्जनों गांव प्रभावित हो रहे हैं। लोगों की फसलें डूब गई हैं। गंगा घाटों पर पानी खतरे के निशानके निकट है। मंगलवार को एसडीएम सिराथू ने गंगा व चायल के एसडीएम ने यमुना के प्रभावित गांवों का दौरा किया। अफसरों ने नदी किनारे गांव के लोगों को सुरक्षित करने के लिए गांव के बाहर कैंप बना दिया है। उफान में आई नदियों के चलते लोग दहशतजदा हैं।
सिराथू क्षेत्र के गंगा नदी के किनारे बसे 45 गांवों में जल स्तर बढ़ने से पानी गांव में पहुंचने का अंदेशा बना हुआ है। क्षेत्र के कंथुवा, कड़ा, अकबरपुर, असदपुर, जहांगीराबाद में बने घाट डूब गए। ग्रामीणों का कहना है कि जल स्तर बढ़ने से गंगा का पानी गांव में पहुंच सकता है। इसे लेकर प्रशासन ने क्षेत्र में आठ बाढ़ राहत चौकी बनाई है। वहीं गांव में स्थित परिषदीय विद्यालय में कैंप बनाया है। जहां राजस्व कर्मियों की तैनाती की गई। प्रतिदिन राजस्व कर्मी गांव में बाढ़ का जायजा लेकर सूचना अधिकारियों दे रहे हैं। वहीं गंगा के कछारी क्षेत्र की फसल जलमग्न हो गई। इसकी वजह से लोगों के सामने खासी मुसीबत खड़ी हो गई है। टेंढ़ीमोड़ प्रतिनिधि के मुताबिक- गंगा के तराई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। गंगा के दो स्त्रोतों के बीच हिसामपुर परसखी व सुखऊ का पूरा में गंगा का कछारी मैदान है। इस कछार में सैकड़ों किसान खेती करने के अलावा झोपड़ी डालकर रहते हैं। दो दिनों से अचानक जलस्तर बढ़ा तो कछारी मैदान में रह रहे लोगों की झोपड़ी में पानी घुस गया। यह देख लोगों के होश उड़ गए। लोगों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई। इसकी वजह से कुछ लोगों ने तो कछारी क्षेत्र पलायन में करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को दर्जनों लोग नाव पर सवार होकर कछार से बाहर आ गए। वहीं कुछ लोग रास्तों में भरे पानी से ही घुसकर निकले। कछार में रहे शिव प्रकाश, राजबहादुर, संतोष व रामा का कहना है कि कई महीनों की मेहनत करके फसल को तैयार किया गया है। ऐसे में उफनाती गंगा में फसल डूब गई है। लोग परिवार व मवेशी के साथ रह रहे हैं। ऐसे में यदि रात में गंगा का पानी अधिक हो गया तो उनके लिए परेशानी बढ़ जाएगी।
पुरखास में यमुना नदी किनारे बसे पिपरहटा सहित कई गांवों के नजदीक तक पानी आ गया। कुछ दिन पहले हुए उपजिलाधिकारी चायल ने पिपरहटा गांव का दौरा करके गांव की भौगोलिक स्थिति का जायजा लिया था। एसडीएम ने राजस्व कर्मियों के साथ नदी किनारे के गांवों का निरीक्षण किया। उन्होंने पिपरहटा गांव समेत मल्हीपुर, नंदा पुरवा समेत आधा दर्जन गांव का जायजा लिया। यमुना का पानी तराई के खेतों में पहुंच रहा है। इससे लोगों की फसलें जलमग्न हो गई हैं। एसडीएम ने सफाई कर्मियों को निर्देशित किया है कि नालियों की सफाई करें, जिससे नदी का पानी रुकने न पाए। इतना ही नहीं, उन्होंने नदी में बढ़ रहे पानी को देखते हुए संभावित गांव के प्रधानों को सुरक्षित स्थान पर कैंप बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नेवादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी को भी स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं, जिससे संक्रामक बीमारियों व जहरीले जलीय जंतुओं से बचाव की तैयारी पहले ही मुस्तैद हो।