कम नहीं हुआ आजादी के दीवानों का जज्बा
शैलेंद्र द्विवेदी, कौशांबी : देश की सुरक्षा के लिए शहीद होने बाद भी आजादी के दीवानों का जज्बा कम नहीं हुआ। चायल तहसील क्षेत्र के कसेंदा गांव के महेंद्र प्रताप ¨सह नौ अप्रैल वर्ष 1999 में असम के रगिया में आतंकवादियों की बमबाजी में शहीद हो गए थे।
शैलेंद्र द्विवेदी, कौशांबी
देश की सुरक्षा के लिए शहीद होने बाद भी आजादी के दीवानों का जज्बा कम नहीं हुआ। चायल तहसील क्षेत्र के कसेंदा गांव के महेंद्र प्रताप ¨सह नौ अप्रैल वर्ष 1999 में असम के रगिया में आतंकवादियों की बमबाजी में शहीद हो गए थे। उनके शहीद होने के बाद परिवार के सदस्यों की प्रेरणा पर महेंद्र प्रताप ¨सह के बेटे ने देश की सुरक्षा का बीड़ा उठाया है।
चायल तहसील क्षेत्र के कसेंदा की धरती में पैदा हुए महेंद्र प्रताप ¨सह पुत्र छोटेलाल यादव ने देश की सुरक्षा के लिए सेना में नौकरी की थी। नौ अप्रैल वर्ष 1999 में असम के रगिया में आतंकवादियों की बमबाजी में शहीद हो गए थे। इकलौते बेटे के शहीद के बाद भी परिवार के सदस्यों का देश की सुरक्षा को लेकर हौसला कम नहीं हुआ। पति को खोने के बाद संगीता यादव कुछ दिनों के लिए परेशान तो जरूर हुई, लेकिन अपने इकलौते बेटे आकाश यादव व सास-ससुर की सेवा में समय बिताया। महेंद्र प्रताप ¨सह की पत्नी की माने तो वह अपने बेटे आकाश को भी देश की सेवा के योग्य बनाने में कोई कमी नहीं की। आज शहीद का बेटा भी पूना में सेना की ट्रे¨नग कर रहा है। सेना की नौकरी पाने के बाद परिवार के सदस्य काफी खुश हैं। नहीं बनाया गया शहीद स्थल
देश सुरक्षा के दौरान नौ अप्रैल वर्ष 1999 में चायल क्षेत्र के कसेंदा गांव शहीद हुए महेंद्र प्रताप ¨सह का शहीद स्थल अब तक नहीं बनाया गया। शहीद स्थल बनाने के लिए परिवार के सदस्यों ने कई बार जन प्रतिनिधियों से मांग की थी लेकिन अब तक शहीद स्थल नहीं बनाया गया। शहीद की पत्नी संगीता यादव का कहना है कि गांव का विकास सही तरीके से कराया गया है।