भ्रष्टाचार के दोषी पूर्व बीडीओ से होगी वसूली
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खंड विकास अधिकारी सरसवां के पद पर रहते हुए मोहनलाल जैसवार ने राज्य वित्त, महामाया आवास योजना, इंदिरा आवास, मनरेगा और तहसील दिवसों की शिकायत में अनियमितता व भ्रष्टाचार किया था। जांच के बाद वह दोषी पाए गए। सेवानिवृत्त होने के बाद शासन ने उनकी पेंशन की रकम की रिकवरी का आदेश दिया है। पांच साल तक उन्हें मिलने वाली पेंशन से 10 फीसद रकम की कटौती की जाएगी।
पूर्व खंड विकास अधिकारी मोहनलाल जैसवार वर्ष 2011-14 तक सरसवां में तैनात थे। इसके बाद उनका स्थानांतरण मिर्जापुर हो गया। कौशांबी में तैनाती के दौरान इन पर भ्रष्टाचार करने समेत अन्य आरोप लगाए गए थे। शासन स्तर पर इसकी जांच की जा रही थी। जांच अधिकारियों ने उन्हें अपने पद का दुरुपयोग करने और योजनाओं में भ्रष्टाचार का दोषी पाया। इतना ही नहीं आधिकारियों की जांच में यह भी प्रकाश में आया कि वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री के कौशांबी दौरे के दौरान जो कार्ययोजना बनी थी। उसे भी उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया। उनकी लापरवाही का आलम यह था कि देरी से प्रस्ताव व कार्ययोजना तैयार करने के कारण करीब 15 माह तक कार्य नहीं हुआ। ब्लाक क्षेत्रों में विकास कार्यों के नाम पर करीब 350763 रुपये आए थे, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं मिला। जांच अधिकारियों के नोटिस देने के बाद भी उन्होंने इस रकम के खर्च किए जाने का रिकार्ड नहीं दिया। महामाया आवास के 65 हजार और इंदिरा आवास के 35 हजार रुपये ब्लाक के खाते में डंप थे। इस धन का कोई प्रयोग नहीं किया गया। जांच अधिकारियों ने उनको इन मामलों में दोषी पाया और अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी। शासन की ओर से विशेष सचिव अल्छेलाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, प्रयागराज से अनुमति मिलने के बाद उनके वेतन से रिकवरी का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि मोहनालाल जैतवार को मिलने वाली पेंशन से हर माह 10 फीसद रकम की कटौती करते हुए इसकी वसूली की जाए।