Move to Jagran APP

पीएम आवास के लिए मिला धन जालसाज ने निकाला

जासं, कौशांबी : मंझनपुर ब्लाक के पाता ग्रामीण (महुआ खड़ा) गांव में मृतक के खाते में प्रधानमंत्री आवास की धनराशि भेजी गई। जिसे बीडीओ रहते पीडी ने उसकी पत्नी के खाते में स्थानांतरित करा दी। इस राशि को किसी जालसाज ने खाते से निकाल लिया। अब न तो उसके पास धन है और न ही रहने के लिए घर है। पात्र होने के बाद भी वह सिस्टम का शिकार हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 10:58 PM (IST)
पीएम आवास के लिए मिला धन जालसाज ने निकाला
पीएम आवास के लिए मिला धन जालसाज ने निकाला

जासं, कौशांबी : मंझनपुर ब्लाक के पाता ग्रामीण (महुआ खड़ा) गांव में मृतक के खाते में प्रधानमंत्री आवास की धनराशि भेजी गई। जिसे बीडीओ रहते पीडी ने उसकी पत्नी के खाते में स्थानांतरित करा दी। इस राशि को किसी जालसाज ने खाते से निकाल लिया। अब न तो उसके पास धन है और न ही रहने के लिए घर है। पात्र होने के बाद भी वह सिस्टम का शिकार हो गई है।

loksabha election banner

पाता ग्रामीण निवासी रामलखन के पास रहने के लिए आवास नहीं था। पात्रता सूची में होने के कारण उसने अधिकारियों से आवास की मांगी। वह जब तक ¨जदा रहा। लगातार अधिकारियों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन प्रधानमंत्री आवास उसके नाम पर स्वीकृत नहीं हो सका। उसकी मौत के 22 दिन बाद बीडीओ मंझनपुर के चार्ज पर रहे पीडी डीआरडीए राजेश कुमार मिश्र ने आवास स्वीकृत कर लिया। रामलखन की मौत के बाद धनराशि उसके खाते से निकले कैसे इसके लिए उन्होंने नियमों को तक पर रखते हुए बैंक को सीधे मृतक की पत्नी चंद्रकली के नाम पर धनराशि भेजने का निर्देश दे दिया। बैंक ने आवास निर्माण के लिए मिली किश्त चंद्रकली के खाते में स्थानांतरित कर दिया। किसी जालसाज ने उसके खाते से धनराशि निकाल ली। अब चंद्रकली के पास न तो आवास निर्माण के लिए धन बचा है और न ही आवास है। वह अपने बच्चों के साथ कच्चे घर में रहने को मजबूर है।

मामले को लेकर पीडी राजेश कुमार मिश्रा ने बताया कि रामलखन की पत्नी होने के कारण उसके खाते में धनराशि भेजी गई थी। उससे किसी दूसरे ने निकाल लिया। इसकी जानकारी नहीं है। वह इसकी जांच कराएंगे। अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध

आवास निर्माण को लेकर हर माह की गई प्रगति को लेकर जिले के अधिकारी शासन को रिपोर्ट भेजते हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत अधिकारी गांव में जाकर एक-एक आवास की निगरानी करते है। इसके बाद अगस्त 2017 में स्वीकृत आवास अब तक बना नहीं। इसके साथ ही अधिकारियों का यह कहना की इसको लेकर उनके पास जानकारी नहीं है। यह एक बड़ी लापरवाही है। इसको लेकर जिम्मेदारों की कार्यशैली संदिग्ध प्रतीत होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.