Move to Jagran APP

जिला कृषि अधिकारी को चार प्रभार, कार्य प्रभावित

जासं, कौशांबी : कृषि विभाग में तैनात चार अधिकारियों का तबादला गैर जनपद के लिए महीनों पहले कर दिया है। तभी से दूसरे अधिकारियों की तैनाती नहीं की गई। रिक्त पदों का प्रभार जिला कृषि अधिकारी को सौंपा गया। लेकिन इनका किसी पद का काम नहीं दिख रहा है। अक्सर दफ्तर से नदारद ही रहते हैं। इसके अलावा कृषि उप निदेशक कार्यालय में लिपिकों की कमी है, जिसकी वजह से कार्य प्रभावित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 09:07 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 12:38 AM (IST)
जिला कृषि अधिकारी को चार प्रभार, कार्य प्रभावित
जिला कृषि अधिकारी को चार प्रभार, कार्य प्रभावित

जासं, कौशांबी : कृषि विभाग में तैनात चार अधिकारियों का तबादला गैर जनपद के लिए महीनों पहले कर दिया है। तभी से दूसरे अधिकारियों की तैनाती नहीं की गई। रिक्त पदों का प्रभार जिला कृषि अधिकारी को सौंपा गया। लेकिन इनका किसी पद का काम नहीं दिख रहा है। अक्सर दफ्तर से नदारद ही रहते हैं। इसके अलावा कृषि उप निदेशक कार्यालय में लिपिकों की कमी है, जिसकी वजह से कार्य प्रभावित हो रहा है।

loksabha election banner

कृषि उत्पादन को बढ़ाकर किसानों की आय को दो गुना करने के लिए भले की सरकार प्रयासरत है। इसके लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी जारी किया गया है, लेकिन यहां पर कृषि विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी है। इससे कृषि संबंधित कार्य प्रभावित हो रहा है। चार महीने पूर्व कृषि विभाग के चार अधिकारियों का तबादला गैर जपनद के लिए कर दिया गया था। इसमें उप संभागीय अधिकारी चायल, सिराथू, मंझनपुर व जिला कृषि रक्षा अधिकारी कौशांबी शामिल है। अब तक संबंधित अधिकारियों की तैनाती शासन स्तर से नहीं की गई है। इन सभी पदों का प्रभार जिला कृषि अधिकारी अभयराज ¨सह को दिया गया है। ऐसे में वह किसी पद का काम समुचित नहीं कर पा रहे हैं। अक्सर वह अपने कार्यालय और जिला स्तरीय बैठकों से नदारद रहते हैं। पिछले महीने ऋणमाफी की बैठक न आने पर डीएम ने उनका वेतन भी रोक दिया गया था। इसी प्रकार कृषि उप निदेशक कार्यालय में आशुलिपिक व तीन कनिष्ठ सहायकों का पद खाली चल रहा है। इन सभी लिपिकों का कार्य एक कनिष्ठ सहायक लिपिक कर रहा है। किसानों को जागरूक करने के लिए संगोष्ठी का आयोजन इन दिनों नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से किसान तकनीकी खेती से दूर हो रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो फसल उत्पादन नहीं बढ़ेगा। साथ ही शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.