गांव में नहीं बनीं नालियां, निकलना मुश्किल
संसू, कसेंदा : विकास खंड नेवादा के बरियांवा गांव में आधे से ज्यादा रास्ते कच्चे हैं। यहां पर नालियां भी नहीं बनी है जिसके चलते गांव के कई रास्तों पर कीचड़ फैला हुआ है और लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। इतना ही नहीं दो माह से सफाईकर्मी के न आने से गांव में चारों तरफ हर गलियों में गंदगी फैली हुई है। ऐसे में बीमारी फैलने कि आशंका बनी हुई है।
संसू, कसेंदा : विकास खंड नेवादा के बरियांवा गांव में आधे से ज्यादा रास्ते कच्चे हैं। यहां पर नालियां भी नहीं बनी है जिसके चलते गांव के कई रास्तों पर कीचड़ फैला हुआ है और लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। इतना ही नहीं दो माह से सफाईकर्मी के न आने से गांव में चारों तरफ हर गलियों में गंदगी फैली हुई है। ऐसे में बीमारी फैलने कि आशंका बनी हुई है।
विकास खण्ड नेवादा के ग्राम सभा बरियांवा गांव के गोपाल, रामदास, उत्तम, संतोष, बबई, दरोगा ने बताया कि गांव के उत्तर व पूरब छोर में आधे से ज्यादा रास्ते कच्चे हैं। उन रास्तों पर दूषित पानी व कीचड़ भरा रहता है। जिससे ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ती है। बृजेंद्र, राजलाल, बरमदीन ने कहा गांव में आधे से ज्यादा लोगों को शौचालय व आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकांश लोग खुले में शौच व रहने के लिए छप्परों का सहारा ले रहे हैं। पात्रों ने ग्राम प्रधान से शौचालय व आवास कि मांग कि थी लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। गांव में सभी रास्ते व गांव के बीच गंदगी फैली हुई है। इससे गांव में बीमारी फैलने कि आशंका बनी हुई है। स्कूली बच्चों को इन्ही रास्ते से कीचड़ व दूषित पानी के बीच होकर गुजरना पड़ता है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार ग्राम प्रधान व सचिव से की लेकिन समस्या से निजात नहीं मिली। ग्रामीण बोले
गांव में अधिकांश लोगों का शौचालय नहीं बना है। इसलिए खुले में शौच को जाना पड़ता है। ग्राम प्रधान से शौचालय की मांग करने के बाद भी समस्या से निजात नहीं मिली।
- रामकली
गांव के चारों तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है। नालियां न होने से गांव के मुख्य मार्ग पर बारिश का पानी भरा है। लोगों को दूषित पानी व कीचड़ से गुजरना पड़ता है।
- फूलचंद्र यादव
गांव के सभी रास्ते पर कीचड़ व दूषित पानी भरा है। स्कूली बच्चे व महिलाओं को उसी रास्ते आना-जाना पड़ता है। जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।
- सुबेदार उर्फ दरोगा
गांव के उत्तर व पूरब में अधिकांश लोगों को शौचालय के लिए सरकारी धन नहीं मिला। दिन भर की कमाई से रोजी रोटी ही जुटा पाते हैं। जिससे खुले में शौच जाना पड़ता है।
- बबई प्रसाद