मां कूष्मांडा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, लगाए जयकारे
चैत्र नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को कड़ा धाम में मां शीतला के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। बढ़ती भीड़ को देख प्रशासन के होश उड़ गए। दिन में कई बार मंदिर परिसर को सैनिटाइज कराया गया। इस दौरान मंदिर समिति के लोगों ने फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन कराते हुए पहुंचे श्रद्धालुओं को मां भगवती का दर्शन कराया गया।
संसू, देवीगंज : चैत्र नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को कड़ा धाम में मां शीतला के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। बढ़ती भीड़ को देख प्रशासन के होश उड़ गए। दिन में कई बार मंदिर परिसर को सैनिटाइज कराया गया। इस दौरान मंदिर समिति के लोगों ने फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन कराते हुए पहुंचे श्रद्धालुओं को मां भगवती का दर्शन कराया गया।
चैत्र नवरात्र शुरू होते हजारों भक्त कड़ा धाम में स्थापित मां शीतला के दर्शन पूजन के लिए आते हैं। इस बार कोरोना महामारी के चलते दर्शन पूजन के लिए कोविड-19 नियमों का पालन करना जरूरी है। नवरात्र के तीन दिनों में दर्शनार्थियों की भीड़ सीमित रही। शुक्रवार का दिन मां भगवती के पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इसलिए चौथे दिन अचानक श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। एकाएक भीड़ बढ़ती देख प्रशासनिक अफसरों व पुलिस कर्मियों के होश उड़ गए और कई बार मंदिर के पट बंद करा कर मंदिर परिसर को दिन मे पांच बार सैनिटाइज कराना पड़ा। इस दौरान धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन के लिए काफी देर तक खड़े रहना पड़ा।
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कूष्मांडा स्वरूप की पूजा कर भक्तों ने मांगा वरदान
देवी शक्ति के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शुक्रवार को नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की गई। कड़ाधाम पहुंचे भक्तों ने मां शीतला मंदिर में कूष्मांडा स्वरूप की। इस दौरान मां को नारियल चुनरी व झंडा निशान चढ़ाकर अपने व परिवार के जीवन में निरोग होने का वरदान मांगा। साथ ही कोरोना संक्रमण से देश को मुक्त कराए जाने की भी कामना की।
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गंगा तट से मंदिर तक परिक्रमा कर पहुंचे श्रद्धालु
चैत्र नवरात्रि चौथे दिन शुक्रवार को काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने कड़ा धाम पहुंचकर पतित पावनी मां गंगा में स्नान किया। इसके बाद गंगा तट से मां शीतला के मंदिर तक जमीन में लेट कर परिक्रमा करते हुए माता रानी के दरबार पहुंचे और पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं को कहना है जिस किसी की मन्नत पूरी हो जाती है, वह जमीन पर लेटकर माता रानी के दरबार तक पहुंचता है।
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धाम पहुंचे श्रद्धालुओं ने भराई जललहरी
पौराणिक देवी कथाओं के मुताबिक मां सती का दाहिना हाथ कड़ा धाम में आकर गिरा था और वहीं एक कुंड में समा गया। इसीलिए शीतला धाम 51वीं शक्तिपीठों में से एक है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मंदिर के सामने स्थापित कुंड को गंगा जल व दूध से भरा कर मन्नतें मांगी।