मां के गुनाहों की सजा काट रहीं बेटियां
कौशांबी। जेल का खाना खाना पड़ेगा, जेल का पानी पीना पड़ेगा, यह पंक्तियां गाना अन्य बच्चों के लिएखेल होगा।
कौशांबी। जेल का खाना खाना पड़ेगा, जेल का पानी पीना पड़ेगा, यह पंक्तियां गाना अन्य बच्चों के लिए खेल का अंग होगा, लेकिन जिले की दो मासूमों के लिए यह हकीकत बन चुका है। मां के गुनाहों की वजह से दो बच्चियों को जेल की चहारदीवारी में अपना बचपन काटना रहा है। दोनों बच्चियों के लिए जेल ही उनकी दुनिया बन गई है। बाहर क्या है, इससे वह पूरी तरह से अंजान हैं।
कौशांबी के जिला जेल में इन दिनों 27 महिलाएं बंद हैं। इसमें से दो महिलाओं के साथ उनकी बेटियां भी हैं। जन्म लेने के कुछ माह बाद से ही दो बच्चियां जेल में हैं। इससे एक आलमा व दूसरी नंदिनी है। करारी थाना क्षेत्र के गुआरा तैयबपुर गांव निवासी नूरी पत्नी गोलबाबू अपनी देवरानी की हत्या के आरोप में बीते ढाई वर्ष से जेल में बंद हैं। इसके साथ इनकी बेटी आलमा भी है। ऐसे ही पिपरी थाना क्षेत्र के रहौना गौसपुर गांव निवासी सरला पत्नी हरिश्चंद्र पर अपने ससुर की हत्या का आरोप है। बीते डेढ़ साल से यह जेल में बंद हैं। इसके साथ में इनकी बेटी नंदिनी भी जेल की चहारदीवारी में कैद है।
परिवार के अन्य सदस्यों का नसीब नहीं हुआ प्यार
मां के साथ जेल में रह रही नंदिनी व आलमा को परिवार के अन्य सदस्यों का प्यार नसीब नहीं हुआ। न तो वह घर के आंगन में खेलीं और न ही दादा-दादी की अंगुली पकड़ कर चलाना सीखा। मां के गुनाहों की वजह से जेल में ही दोनों बच्चियों का बचपन बीत रहा है।
27 मां का दिल बहलाती हैं बच्चियां
जिला जेल में दिनों 27 महिलाएं बंद हैं। इनमें दो महिलाओं के पास बेटियां भी हैं। बच्चियां जेल परिसर व बैरिक में जब खेलती हैं तो जेल में बंद महिलाएं उन्हें देखकर खुश हो जाती हैं। यही नहीं उन्हें गोद में उठाकर प्यार भी करती हैं। इससे बच्चियां भी खुश हो जाती हैं और उन्हें 27 मां का प्यार भी मिल रहा है।
बयान
- छह साल तक के बच्चे ही मां के साथ जेल में रह सकते हैं। उसके बाद इनको जेल से बाहर उनके परिवार वालों के पास भेज दिया जाएगा। छोटे बच्चे होने के कारण उन्हें मां के पास रखा जाता है।
- बीएस मुकुंद, जेल अधीक्षक।