शहरों में कोरोना की दहशत गांव में बढ़ाएगा वोट प्रतिशत
टेढ़ीमोड़ एक तरफ विश्व भर में जहां कोरोना ने त्राहि-त्राहि मचा रखी है। वहीं दूसरी अ
टेढ़ीमोड़ : एक तरफ विश्व भर में जहां कोरोना ने त्राहि-त्राहि मचा रखी है। वहीं, दूसरी ओर गांव के गलियों में इसका असर न के बराबर रहा है। यही कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर आते ही एक बार फिर लोग गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं, लेकिन उनके गांव आने से उनके परिवार वालों से ज्यादा तो चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी खुश दिख रहे हैं, और हो भी क्यों न। इस बार का बिन बुलाया मेहमान उन्हें जीत की सौगात जो दे सकता है।
बात सिर्फ यहीं खत्म नही हो जाती, शहरों से आ रहे लोग न सिर्फ अपने गांव आ रहे हैं बल्कि इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के वोट प्रतिशत बढ़ाने में भी उनका अहम योगदान रहने वाला है। गांव के ज्यादातर लोग रोजगार की तलाश में शहरों का रुख करते हैं, लेकिन इस बार पंचायत चुनाव के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर भी चल पड़ी है। इससे लोग अपने-अपने गांव की ओर कूच कर रहे हैं। गांव आने पर एक तीर से दो निशाने साधते दिख रहे हैं। एक तो कोरोना का संकट काफी हद तक टलता दिख रहा। इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का जो महाकुंभ हो रहा है नि:संदेह उसमें आहुतियों का प्रतिशत ऐसे मतदाता ही बढ़ाने वाले हैं।
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दावेदारों का काम कर रहा कोरोना
चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी इस बात से खुश हैं कि उन्हें अपने मतदाताओं को बुलाने की जहमत नही उठानी पड़ेगी। उनका सारा काम कोरोना ही कर रहा है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के बाद चुनाव के पहले लोगों के अपने गांव लौटने से प्रत्याशियों की बल्ले-बल्ले है। क्योंकि पंचायत चुनाव के दौरान प्रत्याशी अपने समर्थक मतदाताओं को अपने खर्चे पर गांव बुलाते थे, लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं है। एक प्रकार से इन प्रत्याशियों की पौ बारह हैं।
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बोले प्रवासी मतदाता..
इस बार शहरों में कोरोना का संकट गहराया है, जिससे वहां दो वक्त की रोटी बड़ी दुर्लभ हो गयी है। इसलिए मैं गांव आ गया हूं और इस बार यहीं अपना वोट डालूंगा। साथ ही एक अच्छे प्रत्याशी का चयन करूंगा।
- जय चंद्र कोरोना से बचने के लिए हम परिवार सहित गांव आ गए हैं। अब जब तक चुनाव न हो जाएगा, यहीं रुकेंगे और अपने गांव के चुनावी रण में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
- शशि प्रकाश गांव का चुनाव मुझे हमेशा से दूर की कौड़ी लगता रहा है। इस बार कोरोना के चलते चुनाव में शामिल होने का अवसर मिल रहा है। मैं शहर से पिछले दिनों ही आया हूं और अब यहीं रहकर चुनावी दंगल में दो-दो हाथ करूंगा।
- लवकेश यादव कोरोना की बढ़ती रफ्तार और लॉक डाउन की ओर बढ़ते कदम ने हमें वापस गांव आने पर मजबूर कर दिया। अब हम चुनाव के इस महाकुंभ की डुबकी लगाने के बाद ही दोबारा शहर को जाएंगे।
- उमाशंकर