चरवा में बिना नक्शा 13 साल से कर रहे चकबंदी
जासं, कौशांबी : जिले में पिछले कुछ सालों से हो रही चकबंदी में बड़े पैमाने पर खेल किया जा रहा है। पुराने नक्शे से मिलान करके चक काटे जाते हैं जिससे सरकारी जमीनों को अलग किया जा सके और काश्तकार को अलग। रास्ता, नाली, खड़ंजा, खेल मैदान आदि की जमीन निकली जा सके। लेकिन जिले के सबसे बड़े गांव गांव चरवा में बिना नक्शे के ही के ही 13 साल से चकबंदी चल रही है। नियमानुसार 10 साल तक चकबंदी न करने पर तहसील में वापस करनी होती है। लेकिन चकबंदी के अधिकारी इस गांव को वापस नहीं कर रहे हैं। शिकायत के बाद डीएम ने जांच बैठा दी है।
जासं, कौशांबी : जिले में पिछले कुछ सालों से हो रही चकबंदी में बड़े पैमाने पर खेल किया जा रहा है। पुराने नक्शे से मिलान करके चक काटे जाते हैं जिससे सरकारी जमीनों को अलग किया जा सके और काश्तकार को अलग। रास्ता, नाली, खड़ंजा, खेल मैदान आदि की जमीन निकली जा सके। लेकिन जिले के सबसे बड़े गांव गांव चरवा में बिना नक्शे के ही के ही 13 साल से चकबंदी चल रही है। नियमानुसार 10 साल तक चकबंदी न करने पर तहसील में वापस करनी होती है। लेकिन चकबंदी के अधिकारी इस गांव को वापस नहीं कर रहे हैं। शिकायत के बाद डीएम ने जांच बैठा दी है।
चरवा गांव जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है। इस पंचायत में 26 मजरे शामिल हैं और यहां की आबादी 15 हजार से अधिक है। गांव में 4054 गाटा है और 3539 हेक्टेयर खेती का रकबा है। गांव को 2006 में चकबंदी के लिए दिया गया। तबसे अब तक किसी भी चक की न तो पैमाइश हुई और न ही कोई सरकारी जमीन अलग की गई। बल्कि सरकारी जमीनों पर कब्जा कराया जा रहा। सालों पुराने और विवादित मामलों में सुविधा शुल्क लेकर चकबन्दी के अधिकारी दाखिल खारिज, रजिस्ट्री, वरासत, नामांतरण कर रहे हैं। इसमें जो संपन्न लोग हैं वो पैसे देकर जमीनों को अपने नाम करा रहे और गरीब किसान परेशान हैं।
जांच में कई चौंकाने वाले मामले आए सामने
सहायक चकबंदी अधिकारी अशोक लाल श्रीवास्तव ने जांच में कई चौकाने वाले मामले सामने आए है। जांच में पता चला कि चरवा गांव का मूल नक्शा ही नहीं है। जो नक्शा है भी वो पांच खंडों में फाड़ कर रखा गया है। पांचों खंडों के नक्शों की स्थिति जीर्ण शीर्ण है। इन सभी लाल नीले रंग की पेन से ओवरराइ¨टग की गई है। इसलिए इसे नहीं पढ़ा जा सकता है।
बगैर नक्शा पट्टे की भूमि को बनाया भूमिधरी
चायल के मुख्य अनुरेखक हनुमान प्रसाद ने बताया कि नक्शे की दशा इतनी खराब है कि नया नहीं बन सकता, ना ही इससे पैमाइश हो सकती है। चूंकि इस ग्राम सभा में सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन है। इसलिए माफिया और अधिकारियों ने नक्शा नष्ट कर राजस्व परिषद से भी नक्शा गायब कर दिया है। तमाम पट्टे की भूमि को भी भूमिधरी बना दिया है।
तहसील को वापस हो गांव
कमिश्नर का आदेश है कि चकबंदी विभाग 10 साल से जिन गांव की चकबंदी ना कर पाया हो उन्हें तहसील को वापस कर दे। इसके बावजूद चरवा गांव को तहसील में वापस नहीं किया जा रहा है। इसके पीछे कहीं न कहीं जमीनों के बंदरबांट का मामला है। सहायक चकबंदी अधिकारी ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है। जांच रिपोर्ट से पता चला है कि हेक्टेयर सरकारी जमीन पर कब्जा है। गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई के लिए एडीएम की निगरानी में एक कमेटी बनाई गई है। एडीएम की रिपोर्ट आने के बाद कइयों पर कार्रवाई होगी।
मनीष कुमार वर्मा, डीएम