पशुचिकित्सकों की नियुक्त न होने से झोलाछाप कर रहे इलाज
तहसील क्षेत्र के पशु अस्पतालों में नियुक्ति न होने से झोलाछाप से मवेशियों का इलाज करवाना महंगा पड़ रहा है। गलत इलाज से क्षेत्र के अब तक कई दुधारू मवेशियों की मौत हो चुकी है। शिकायत के बावजूद पशुचिकित्सा विभाग झोलाछापों पर कोई कार्रवाई नही कर रहा है। जिससे वह बाइक में कंटेनर बांध खुलेआम मवेशियों का इलाज कर रहे है।
संसू, चायल : तहसील क्षेत्र के पशु अस्पतालों में नियुक्ति न होने से झोलाछाप से मवेशियों का इलाज करवाना महंगा पड़ रहा है। गलत इलाज से क्षेत्र के अब तक कई दुधारू मवेशियों की मौत हो चुकी है। शिकायत के बावजूद पशुचिकित्सा विभाग झोलाछापों पर कोई कार्रवाई नही कर रहा है। जिससे वह बाइक में कंटेनर बांध खुलेआम मवेशियों का इलाज कर रहे है।
चायल तहसील के नेवादा, चायल, सरायअकिल अस्पतालों में काफी समय से पशुचिकित्सकों की नियुक्त नही हुई है।ऐसे में मवेशियों में चिकित्सा की जिम्मेदारी एकमात्र पशुचिकित्सक कौशांबी में तैनात डॉ.राजेश कुमार यादव की है। खाली पशुचिकित्सालयों पर प्राथमिक चिकित्सा कृत्रिम गर्भाधान समेत अन्य कार्यों की जिम्मेदारी पशुधनप्रसार अधिकारी व फार्मासिस्ट संभाल रहे हैं। पशुचिकित्सकों की कमी से पूरा चायल क्षेत्र झोलाछाप डाक्टरों के सहारे है। जिससे चायल के कुम्हारन का पुरवा, हसनपुर, बहुंगरी, काठगांव, भगवानपुर, सरांय अकिल और चंदूपुर सहित दो दर्जन गांवों में झोलाछाप बाइक में कंटेनर बांध खुले आम मवेशियों इलाज कर रहे है। इन झोलाछापो के गलत इलाज से बैरआमद करारी गांव के पशुपालक देवतादीन और रामबालक की दुधारू भैसों की मौत हो चुकी है। इसी तरह डाड़ी गांव निवासी मिटू सिंह, मुलायमपुर गांव निवासी राजकिशोर, हसनपुर गांव निवासी ललऊ की दुधारू भैंसों की मौत हो चुकी है। पशुपालक पुरषोत्तम सिंह, राजनारायण, श्यामकुमार यादव, महेश यादव ने कई बार संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत कर झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।इसके बावजूद पशुचिकित्सा विभाग न तो पशु अस्पतालों में डाक्टरों की नियुक्ति कर रहा है न ही झोलाछाप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।