चकबंदी में खेल, दोबारा नाप में मामला उजागर
संसू, नारा : सिराथू तहसील के जवई पड़री गांव में दो साल पहले चकबंदी हुई थी। अब ग्रामीणों की शिकायत पर दोबारा पैमाइश शुरू हुई तो चकबंदी विभाग के कर्मचारियों का खेत सामने आ गया। उन्होंने अब कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए खेत को पुराने तरीके से रखे जाने की मांग की है।
संसू, नारा : सिराथू तहसील के जवई पड़री गांव में दो साल पहले चकबंदी हुई थी। अब ग्रामीणों की शिकायत पर दोबारा पैमाइश शुरू हुई तो चकबंदी विभाग के कर्मचारियों का खेत सामने आ गया। उन्होंने अब कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए खेत को पुराने तरीके से रखे जाने की मांग की है।
जवई पडरी गांव की चकबंदी दो साल पहले पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी कुछ किसानों को अपने खेत कम होने का अंदेशा हुआ। उन्होंने दोबारा पैमाइश की मांग तो पूरे गांव में अफरा तफरी मच गई। लगभग हर बड़े किसान के चक में लोचा था। किसानों की चक कागजों में कम और मौके पर कम मिली। इसके बाद से ही वह परेशान है। कुछ किसानों ने इसको लेकर चकबंदी विभाग के अधिकारियों से भी इसे रोके जाने की मांग की है, लेकिन डीएम के आदेश के बाद शुरू हुई इस कार्यवाही को वह रोकने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में अब गांव के लोगों के बीच विवाद की स्थित भी पनप रही है। किसान शिव ¨सह पुत्र छेदीलाल को जो रक्बा मिला था उसमें उसने बो¨रग करा लिया। मो. हनीफ ने अपने चक में नलकूप लगवाया तो वह दोबारा नाप में लल्लू के खेत में पहुंच गया। इस पर अब गांव की भौगोलिक स्थित बदल गई है।
-------
क्या हो गई गड़बड़ी
- दो साल पहले जब गांव में चकबंदी हुई तो वहां के किसानों ने विभागीय कर्मचारियों से मिलकर अपनी चक की नाप के दौरान अधिक करा लिया। जो भूमि अधिक थी। उस पर या तो नलकूप लगवा लिया और या फिर उसपर भवन, बाग या फिर कोई अन्य स्थाई निर्माण करा दिया। अब जब गांव में दोबारा चकबंदी हुई तो वह भूमि किसी दूसरे किसान की निकली। इससे विवाद की स्थित बन रही है। किसान अपनी भूमि मांगता है तो उसके साथ दूसरे किसान के नलकूप या फिर कोई दूसरा निर्माण चला जाता है। यदि वह भूमि छोड़ता है तो उसकी चक कम हो जाती है। ऐसे स्थित एक दो किसानों की नहीं है। यह स्थित लगभग हर बड़े किसान की है। अब चकबंदी विभाग के कर्मचारी भी उनकी मदद नहीं कर पा रहे।