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शिलापट के राम चरण स्पर्श से हुआ अहिल्या का उद्धार

सिराथू विकास खंड क्षेत्र के उदहिन बुजुर्ग बजार मे आयोजित हो रही रामलीला के दूसरे दिन बुधवार की रात्रि को ऋषि-मुनियों के यज्ञ में राक्षसों द्वारा बार बार विघ्न डाल कर यज्ञ को संपन्न नही होने दे रहे थे। यज्ञ की रक्षा करने के लिए विश्वामित्र मुनि अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास पहुंचे और उनसे राम लक्ष्मण को मांगा। राजा दशरथ के इंकार करने पर मुनिराज ने कुपित होकर पूरी अयोध्या पूरी को समुद्र में डुबोने का संकल्प लेने जा रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 10:40 PM (IST)
शिलापट के राम चरण स्पर्श से हुआ अहिल्या का उद्धार
शिलापट के राम चरण स्पर्श से हुआ अहिल्या का उद्धार

उदहिन: सिराथू विकास खंड क्षेत्र के उदहिन बुजुर्ग बजार मे आयोजित हो रही रामलीला के दूसरे दिन बुधवार की रात्रि को ऋषि-मुनियों के यज्ञ में राक्षसों द्वारा बार बार विघ्न डाल कर यज्ञ को संपन्न नही होने दे रहे थे। यज्ञ की रक्षा करने के लिए विश्वामित्र मुनि अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास पहुंचे और उनसे राम लक्ष्मण को मांगा। राजा दशरथ के इंकार करने पर मुनिराज ने कुपित होकर पूरी अयोध्या पूरी को समुद्र में डुबोने का संकल्प लेने जा रहे थे। इस दौरान कुलगुरु वशिष्ठ जी वहां पहुंचकर राजा दशरथ को समझाया और राम लक्ष्मण को विश्वामित्र मुनि के साथ आश्रम भेजने को कहा।

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माता पिता व गुरु की आज्ञा पाकर राम, लक्ष्मण व विश्वामित्र के साथ उनके आश्रम को चले। रास्ते में ताड़का नाम की राक्षसी मिली जो बड़ी ही भयानक और मायावी थी। ताड़का राक्षसी से भगवान का भयानक युद्ध हुआ और भगवान ने ताड़का का वध किया। जैसे ही इस बात की सूचना मारीच और सुबाहु जैसे राक्षसों को हुई वो अपनी अपनी राक्षसी सेना लेकर भगवान राम लक्ष्मण से युद्ध करने पहुंचे जिसपर भगवान राम ने उनकी राक्षसी सेना सहित सुबाहु का वध किया और मारीच को समुद्र के पार भेज दिया। जैसे ही ताड़का और सुबाहु का भगवान राम ने वध किया, पंडाल में मौजूद रहे भक्तों ने तालियां बजाकर भगवान के जयकारे लगाए। इसके बाद भगवान राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के आश्रम पहुंचे और उनके यज्ञ कार्य को सफल कराया। इसके बाद मुनिवर राम व लक्ष्मण को साथ लेकर जनकपुर प्रस्थान किया। जनकपुर जाते समय रास्ते में भगवान को एक मनुष्य के आकार की शिलापट दिखाई दी। शिलापट के रहस्य को बताते हुए अहिल्या के इस रूप की कथा बताई और अहिल्या के उद्धार करने का भगवान श्री राम से अनुरोध किया। जिसपर भगवान राम ने अपने चरण रज के स्पर्श से अहिल्या के पूर्व स्त्री रूप में उसे पुनर्जीवित कर उसे मोक्ष प्रदान किया। मुनि वर के साथ दोनो भाई जी जनकपुर धाम की ओर चले। इस अवसर पर श्रीचन्द्र केसरवानी, अजय सोनी, विनीत केसरवानी, राजू केसरवानी, रामबाबू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, श्याम लाल केसवानी, पवन त्रिपाठी, दीपू सिंह, बदलू गौतम, ननका प्रधान, जीतू केसरवानी, राम रतन साहू समेत तमाम लोग मौजूद रहे।


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