यमुना में स्नान कर श्रद्धालुओं ने की गिरिराज की परिक्रमा
जासं, कौशांबी : यमुना तट के किनारे स्थित पभोषा गांव के पास स्थित पर्वत पर गोलोक बहुला सिद्ध मंदिर व छठे पद्मप्रभु का मंदिर स्थापित है। जनपद का एकलौता विशाल पभोषा स्थित पर्वत का जिक्र महाभारत व विश्राम सागर ग्रंथ में मिलता है। सोमवार की सुबह से ही यमुना स्थान व गिरिराज की परिक्रमा का शुरू हुआ सिलसिला देर शाम तक चला। मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।
जासं, कौशांबी : यमुना तट के किनारे स्थित पभोषा गांव के पास स्थित पर्वत पर गोलोक बहुला सिद्ध मंदिर व छठे पद्मप्रभु का मंदिर स्थापित है। जनपद का एकलौता विशाल पभोषा स्थित पर्वत का जिक्र महाभारत व विश्राम सागर ग्रंथ में मिलता है। सोमवार की सुबह से ही यमुना स्थान व गिरिराज की परिक्रमा का शुरू हुआ सिलसिला देर शाम तक चला। मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।
पुण्य की प्राप्ति के लिए हजारों भक्तों ने पर्वत राज की परिक्रमा कर मां बहुला धाम में माथा टेककर विश्व व परिवार के लिए शुभ कामना की। इस स्थान को पर्यटन स्थल का स्थान दिया गया है। पर्व के अलावा भी देश विदेश से लोग यहां आते हैं। किदवंती है कि राजस्थान के एक संत को मां बहुला देवी ने स्वप्न में मंदिर निर्माण की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने पहाड़ की चोटी पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया। वर्षो पहले बना बहुला धाम
पभोषा स्थित गिरिराज पर्वत की चोटी पर लगभग 33 वर्ष पूर्व राजस्थान के धर्म सम्राट सूर्यवंशी दधीचि वशंज के महराज गौरी शंकर ने निर्माण बनवाया जहां सभी की मनोकामना पूरी होती है। जोखिम भरी होती है परिक्रमा
पर्वतराज की परिक्रमा काफी जोखिम भरी होती है लेकिन पुण्य प्राप्ति के लिए श्रद्धालु यह जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं। सदियों से संक्रांति पर चली आ रही परंपरा आज भी जीवित है। महिलाओं ने की जमकर खरीदारी
यमुना की तराई क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बाजार काफी दूर है। जिससे महिलाएं मीना बाजार में खरीदारी करती हैं। मेहनत मजदूरी करने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा रहती है। झूला रहा आकर्षण का केंद्र
तराई में लगने वाले मेले में बच्चों ने झूले का भरपूर लुफ्त उठाया। बच्चे मकर संक्रांति का दिन बेसब्री से इंतजार करते हैं। पर्वत की परिक्रमा के बाद महिलाएं व बच्चे यहां जरूर आते हैं। बिक गई सैकड़ों लाठियां
तराई क्षेत्र होने से लाठियों की खपत बड़े पैमाने पर होती है। यमुना की तराई में आज भी हुरादार लाठी का क्रेज बरकरार है। तराई क्षेत्र के ग्रामीण सुरक्षा के लिए लाठी खरीदते हैं।