52 राजकीय नलकूप खराब, फसलों की सिंचाई हो रही बाधित
जनपद में फसलों की सिचाई के लिए 377 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं जिसमें पिछले चार वर्ष से 52 नलकूप पानी देना बंद कर दिए हैं। इससे किसानों को फसलों की सिचाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है। शिकायत के बाद भी नलकूपों को चालू नहीं किया गया है। ऐसे में कुछ किसान फसलों की बुआई भी नहीं कर पा रहे हैं।
जागरण टीम, कौशांबी : जनपद में फसलों की सिचाई के लिए 377 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं, जिसमें पिछले चार वर्ष से 52 नलकूप पानी देना बंद कर दिए हैं। इससे किसानों को फसलों की सिचाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है। शिकायत के बाद भी नलकूपों को चालू नहीं किया गया है। ऐसे में कुछ किसान फसलों की बुआई भी नहीं कर पा रहे हैं।
किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार दावा जरूर कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ और है। फसलों की सिचाई हो सके इसके लिए जिले में 377 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं। सिचाई विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले का भूजल स्तर घटने के कारण 52 नलकूप पिछले चार वर्ष से पानी देना बंद कर दिए हैं। इसका प्रभाव सीधे फसलों के उत्पादन पर पड़ रहा हैं। विकास खंड मूरतगंज के बथुई गांव निवासी रामआसरे, लवलेश व पंचम ने बताया कि फसलों की सिचाई के लिए लगाया गया राजकीय नलकूप जो वर्षों से पानी नहीं दे रहा है। नलकूप न चलने की वजह से फसलों की सिचाई प्रभावित हो रही है। इसी प्रकार विकास खंड सिराथू क्षेत्र के महनंदापुर, विकास खंड नेवादा का बूदा, विकास खंड सरसवां की ग्राम पंचायत दानपुर आदि ग्राम पंचायतों में लगाया गया नलकूप भी खराब है। इसकी शिकायत भी किसानों ने कई बाद विभागीय अधिकारियों से है। इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। नलकूपों की मरम्मत के नाम पर खेल
समर्थ किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सोनी का कहना है कि जिले में लगाए गए राजकीय नलकूपों की मरम्मत के लिए हर वर्ष लगभग 20 लाख रुपये शासन की ओर से विभाग को दिया जाता है, लेकिन नलकूपों की मरम्मत के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही हैं। इसकी शिकायत पूर्व जिलाधिकारी व विभागीय अधिकारियों से की गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। यही वजह है कि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। गांव का राजकीय नलकूप कई दिनों से खराब है। इसकी वजह से खेतों कि सिचाई नहीं हो पा रही है। जिससे खेत में इन दिनों लगने वाली धान की फसलें पिछड़ रही है। शिकायत के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।
-- मेवालाल
सरकारी नलकूप ठप होने से गरीब किसानों को सिंचाई के लिए प्राइवेट नलकूपों का सहारा लेना पड़ता है। इससे किसानों को अधिक रुपये खर्च करने के साथ प्लास्टिक की पाइप आदि भी मजबूरी में खरीदनी पड़ रही है।
शंकर लाल फसलों की सिचाई करने के लिए प्राइवेट नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिससे फसलों की लागत बहुत अधिक आ रही है। ऐसे में हम लोग सब्जी आदि खेती नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही जायद की फसल भी सिंचाई के अभाव में बर्बाद हो जाती है। धान कि फसलों में उन्हे काफी नुकसान होगा ।
कल्लू सालभर से बूंदा गांव का राजकीय नलकूप भष्ट पड़ा है। शिकायत के बाद भी उसे ठीक नहीं कराया गया जिसके चलते सिचाई प्रभावित हो रही है। धान की फसल रोपाई करने के लिए निजी नलकूपों से अधिक रुपये व लंबी दूरी से सिचाई करनी पड़ती है।
रमेश
जनपद में फसलों की सिचाई के लिए 377 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं, जिसमें पिछले चार वर्ष से 52 नलकूपों की बोरिग फेल हो गई है। इन नलकूपों की बोरिग कराने के लिए शासन से बजट की मांग की गई है, बजट मिलने के बाद सभी नलकूपों को दुरुस्त कराया जाएगा।
इंद्रसेन सिंह, सीडीओ