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2.27 लाख श्रमिक, सिर्फ 73 हजार को मिला मनरेगा से काम

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत सरकार मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार देने का दावा कर रही है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। श्रमिक गुड्डू राजकरन व शिवकुमार का कहना है कि काम न मिलने की वजह से दो जून की रोटी के लाले पड़ गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 11:11 PM (IST)
2.27 लाख श्रमिक, सिर्फ 73 हजार को मिला मनरेगा से काम

कौशांबी : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत सरकार मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार देने का दावा कर रही है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। श्रमिक गुड्डू, राजकरन व शिवकुमार का कहना है कि काम न मिलने की वजह से दो जून की रोटी के लाले पड़ गए हैं। अब तो काम की तलाश में शहर जाने की तैयारी कर रहे हैं। काम न मिलने की पूरी जानकारी अधिकारियों को है। इसके बाद भी मनरेगा को गति देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

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जनपद में 2.27 लाख मनरेगा श्रमिक हैं। अब तक सिर्फ 73 हजार मजदूरों को ही मनरेगा के तहत काम मिल सका है। जबकि मजदूरों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिया गया है, लेकिन मनरेगा से रोजगार देने में अधिकारी शिथिलता बरत रहे हैं, जिसकी वजह से मांग के बाद भी श्रमिकों को काम नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से मजदूरों को परेशानी हो रही है। विकास खंड मूरतगंज भीखमपुर के पिटूलाल, ग्राम पंचायत असरफपुर श्रीचंद्र, प्रमोद कुमार, ग्राम पंचायत मलाकनागर सुरजीत कुमार, अनिल कुमार, मोहम्मद शगीर अहमद का कहना है कि जॉब कार्ड तो बना है लेकिन काम नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह परेशानी हो रही है। मनरेगा के तहत मजदूरों को साल में 100 दिन का रोजगार दिलाने का दावा जिले में पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है। सरकारी आंकड़े पर जाए तो 2016-17 में 123, 2017-18 में 315, 2018-19 में 409, 2019-20 779 व वर्तमान वित्तीय वर्ष में 208 मजदूरों को सौ दिन का काम दिया जा सका है। मजदूरों का कहना है कि वह ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान से काम की मांग करते हैं, लेकिन काम नहीं दिया जा रहा है। जिससे मजदूर अपने बच्चों का पेट भरने के लिए काम की तलाश में गांव से शहर की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। जिन मजदूरों ने काम की मांग किया है। उनसे मेड़बंदी, चक मार्ग निर्माण, तालाब की खोदाई कराया गया है। अब भी मजदूरों को काम दिया जा रहा है। मनरेगा को गति देने के लिए खंड विकास अधिकारियों व सचिवों को निर्देश दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में मजदूरों को 100 दिन का काम दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

-लक्ष्मण प्रसाद, परियोजना निदेशक डीआरडीए


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