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कहां गए कूड़ेदान, सड़कों पर बिखरा कूड़ा

नगर पालिका ने बांटे थे कूड़ेदान इक्का-दुक्का दुकानों पर आते नजर सब्जी की ठेल वालों तक को दिए थे लेकिन निगहबानी में हुए फेल

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 12:05 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 06:21 AM (IST)
कहां गए कूड़ेदान, सड़कों पर बिखरा कूड़ा
कहां गए कूड़ेदान, सड़कों पर बिखरा कूड़ा

कासगंज, जागरण संवाददाता। स्वच्छता के नाम पर नगर पालिका ने जमकर धन खर्च किया। शहर में दुकानदारों को छोड़िये, ठेल वालों को भी कूड़ेदान बांटे। नाश्ते की ठेल पर ही नहीं, सब्जी की ठेल पर भी कूडे़दान रखवा दिए। अफसर एवं नेताओं ने जमकर फोटो भी खिचवाए लेकिन अब इन कूड़ेदान का पता नहीं है। कुछ ने तो इन्हें घर पर प्रयोग में ले लिया तो कहीं पर खराब हो गए।

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रविवार को जागरण की टीम ने शहर में कई मार्गों पर कूड़ेदान की स्थिति को देखा। गांधी प्रतिमा से लेकर प्रभु पार्क तक जहां सड़क के दोनों तरफ सब्जी की दुकानों पर भी कूडे़दान दिखाई देते थे, वहां पर मात्र दो गन्ने के जूस की दुकान पर कूड़ेदान नजर आए। हालात यह थे कि दुकानों पर या तो कागज के कार्टून रखे हुए थे या फिर कूड़ा सड़क पर बिखरा हुआ था। यही हालात बिलराम गेट पर भी नजर आए। दुकानों से गायब कूड़ेदान बता रहे थे स्वच्छता के नाम पर खर्च धन का प्रयोग पालिका नहीं करा पाई।

जागरण ने पहले ही उठाया था दुरुपयोग को

कूड़ेदान वितरण के बाद ही दैनिक जागरण ने इनके दुरुपयोग को प्रमुखता से उठाया था। दैनिक जागरण ने कूड़ेदानों में सब्जी विक्रेताओं द्वारा सब्जी रखने की फोटो सहित खबर प्रकाशित की थी, लेकिन नगर पालिका प्रशासन ने उस वक्त ध्यान नहीं दिया। गुणवत्ता पर भी खड़े हुए सवाल

कई दुकानदारों से पूछने पर पता चला कि कूड़ेदान तो कुछ दिन में ही टूट गए। ऐसे में पालिका प्रशासन द्वारा खरीदे गए कूड़ेदान की गुणवत्ता पर भी सवाल खडे़ हो रहे हैं। कमीशन के फेर में कहीं सस्ते कूड़ेदान तो नहीं खरीदे गए।

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सफाई की तरफ नगर पालिका का ध्यान नहीं है। कूड़ेदान अब कहीं नजर नहीं आते हैं। यह तो जनता के धन की भी बर्बादी है। हर तरफ गंदगी का आलम है। कूड़ेदान दिए तो उन पर निगरानी भी जरूरी है।

संजय अग्रवाल, कारोबारी सफाई का ध्यान रखना चाहिए। नगर पालिका प्रशासन इसका ध्यान नहीं रख रहा है। रेलवे रोड पर भी हर वक्त गंदगी की स्थिति रहती है। कूड़ेदानों का उपयोग तो दूर, दुकानों पर भी नर नहीं आते हैं।

अतुल शर्मा, नौकरीपेशा


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