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तुलसीपीठ के विरोध में सोरों भरेगा मौन हुंकार

आज तुलसीदास की पत्नी रत्नावली के आवास पर प्रदर्शन तुलसी से जुड़े हुए स्थलों से जोड़ा गया है आंदोलन को

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 10:48 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:48 PM (IST)
तुलसीपीठ के विरोध में सोरों भरेगा मौन हुंकार
तुलसीपीठ के विरोध में सोरों भरेगा मौन हुंकार

कासगंज, जागरण संवाददाता। तुलसी के सम्मान की खातिर सोरों में चरणबद्ध आंदोलन जारी है। सोरों ही नहीं, कासगंज जिले के साथ में एटा के लोग भी सरकार के फैसले से हतप्रभ और हैरान हैं। राजापुर को तुलसी पीठ के नाम पर बजट आवंटन के बाद से ही विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। सोरों में आने वाले श्रद्धालु भी यहां पर जगह-जगह तुलसी जन्मस्थली से अंकित बोर्ड और अन्य अभिलेखों को देख कर पूछना नहीं भूलते हैं आखिर तुलसी यहां जन्मे थे तो तुलसीपीठ राजापुर में क्यों?

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तुलसी पीठ को लेकर विधानसभा में बजट पेश होने के बाद से ही सोरों आंदोलन की डगर पर है। पुतला दहन के साथ रैलियों और ज्ञापन के बाद में अब सोरोंवासी तुलसी के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो इन आंदोलनों को उन्हीं स्थानों पर कर रहे हैं, जिनसे तुलसी का नाता रहा हो। चाहे वह तुलसी की पत्नी का घर हो या फिर तुलसी का पुराना आवास। तुलसी के गुरु नरहरिदास के नाम पर संचालित पाठशाला। आंदोलन के अगले चरण में सोरों वासी सोमवार को बदरिया स्थित तुलसी की पत्नी रत्नावली के आवास पर मौन धरना प्रदर्शन कर सरकार के फैसले का विरोध करेंगे।

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तीर्थ नगरी सोरों ही तुलसीदास की वास्तविक जन्मभूमि है। सरकार के फैसले से सोरों और कासगंज की जनता आहत में है। सरकार को अपना निर्णय बदलना चाहिए।

-अखिलेश सक्सेना साहित्यकार

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'निíववाद को सरकार ने विवादित कर दिया है। तुलसी जन्मभूमि पर भ्रम खत्म होना चाहिए। सरकार भले ही राजापुर को बजट दे, लेकिन तुलसी पीठ की घोषणा वापस लें।'

-श्रीकृष्ण शरद, साहित्यकार

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'देश भर में सोरों के अलावा दूसरा सूकर क्षेत्र नहीं है। तुलसी के ही अभिलेख उनका जन्म सूकर क्षेत्र में होने का प्रमाण देते हैं। सरकार फैसले पर पुनर्विचार करें।'

-राजेंद्र गुप्ता, व्यापारी

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'सरकार को बिना किसी विवाद के सोरों को तुलसी पीठ घोषित करना चाहिए। इसे अकाट्य साक्ष्य हैं। पुरातन विभाग भी इसके तथ्य दे सकता है। जनभावनाओं का ध्यान रख फिर विचार करें।'

-अमित तिवारी

इंजीनियर


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