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भाइयों से मिल फूटी बहनों की रुलाई

जेल में भाइयों से मिल रोईं बहनें तो भाइयों की आंखे भी नम 20 से 25 मिनट का वक्त मिला था रक्षाबंधन पर मिलने का

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 06:23 AM (IST)
भाइयों से मिल फूटी बहनों की रुलाई
भाइयों से मिल फूटी बहनों की रुलाई

जागरण संवाददाता, कासगंज : रक्षाबंधन के पर्व पर जेल की सींखचों के पीछे भाई-बहन का प्यार झलका। भाइयों से मिलकर बहनों की रुलाई फूट पड़ी। बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा कराया। जेल की सींखचों के बंद बंदियों की आंखे नम हो गई। बहनों को उपहार न दे पाने का भी गम था। सुबह से शाम तक रक्षाबंधन पर चली मिलाई में 585 बहनों ने भाइयों से मुलाकात की।

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रक्षाबंधन पर्व पर सुबह से ही जेल में भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनों की लाइन लग गई। सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त कांस्टेबल एवं महिला होमगार्ड की ड्यूटी जेल पर लगाई गई थी। प्रभारी जेल अधीक्षक आरके सिंह के निर्देशन में जेल के बाहर ही लाइन लगा गई। 50 से 100 के समूह में महिलाओं को जेल के अंदर भेजा गया। एक बार में 20 से 25 मिनट का वक्त महिलाओं को मिलने के लिए दिया गया। जेल में राखी बांधने के दौरान आंसूओं का सैलाब दिखाई दिया। बहनों ने कलाई पर राखी बांधने के साथ भाइयों के जल्द जेल से बाहर आने की दुआ की।

बच्चों से मिलने का मौका मिला :

रक्षाबंधन के पर्व पर बंदियों को बच्चों से मिलने का मौका मिला। 585 महिलाओं के साथ 240 बच्चे भी जिला जेल में पहुंचे। इनमें से अधिकांश बंदियों के परिवार के ही थे। सलाखों का बंधन नहीं था लिहाजा बंदियों को बच्चों को दुलारने का मौका मिला।

200 से 250 ग्राम घेवर ले जा सकीं महिलाएं :रक्षाबंधन का पर्व। भाई बहन के प्रेम में मीठा भी जरूरी था। इसके लिए जेल प्रशासन ने बहनों के लिए नियम-कानून में ढील दी। महिलाओं को घेवर ले जाने की अनुमति दी, लेकिन मात्र 200 से 250 ग्राम। इसके चलते बंदी घेवर को अपने साथ बैरक में नहीं ले जा सके।


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