शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाओं के लिए खोला क्षितिज
25 बचों से श्रीमती द्रोपदी देवी जाजू सरस्वती बालिका विद्यालय शुरू किया था जिसमें आज 1190 छात्राएं हैं। यहां की प्रधानाध्यापिका सोमवती शर्मा को राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
कासगंज, जागरण संवाददाता। श्रीमती द्रोपदी देवी जाजू सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज में प्रवेश के लिए आज सिफारिशें लगती हैं। सन 1992 में मात्र कक्षा आठ तक संचालित था। उस समय मात्र 25 बच्चे थे, जब प्रधानाध्यापिका के रूप में सोमवती शर्मा ने यहां कार्यभार संभाला था।
सेल्फ फाइनेंस वर्ग में मंडल से सोमवती शर्मा को मुख्यमंत्री पुरस्कार के लिए चयनित किया था। एमए बीएड उत्तीर्ण सोमवती शर्मा को उस वक्त सरकारी नौकरी का भी ऑफर था, लेकिन बालिका शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने के लिए वह स्वतंत्र अधिकार चाहती थी। इसलिए उन्होंने इस छोटे से स्कूल की कमान संभाली। आज स्कूल में 1190 छात्राएं हैं। इसकी वजह रही कि स्कूल में बालिकाओं की पूर्ण सुरक्षा के साथ में अनुशासन। स्कूल में हर वर्ष लोकतांत्रिक तरीके से छात्रा संसद का गठन होता है, जिसमें बाकायदा छात्राएं ही मतदान करती हैं। पांच कमरों से शुरू होने वाले स्कूल में आज 25 कमरे हैं। सन् 1999 से हाईस्कूल के पहले बैच से ही स्कूल ए ग्रेड में रहा है। वहीं हर वर्ष स्कूल की छात्राएं जिले की टॉप टेन सूची में स्थान बनाती रही हैं। सोमवती शर्मा कहती हैं कि बस एक ही चाह थी कि कासगंज जैसे कस्बे में बालिका शिक्षा को एक नया मुकाम दे सकें। बस इस दिशा में कार्य कर रही हैं।
बच्चों के ही नहीं, अभिभावकों के भी गुरू: राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के शिक्षक रामचंद्र वर्मा आज भी गुरुकुल वाले गुरुजी की भूमिका में हैं। छुट्टी के दिन भी छात्रों को वक्त देते हैं। रविवार एवं अन्य अवकाश के दिन वह अपने किसी डॉक्टर, इंजीनियर या बुद्धिजीवी साथी के साथ गांव में पहुंचते हैं तथा वहां पर छात्र-छात्राओं के साथ ग्रामीणों से बातचीत करते हैं। शिक्षा का महत्व बताने के साथ अभिभावकों को जागरूक करते हैं। लक्ष्य संस्था से जुड़े होने के कारण बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधी किताबें भी मुफ्त में देते हैं। वह सिर्फ छात्रों के शिक्षक नहीं हैं, बल्कि किसानों को भी उन्नत कृषि के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय इंटर कॉलेज एवं राजकीय हाईस्कूल बहोरा के प्रभारी प्रधानाचार्य रहते हुए परीक्षाफल सौ फीसद रहा।