क्षमता से ज्यादा तादाद तो नहीं बन रहा गोवंश का काल
गंजडुंडवारा की गोशाला में एक और गाय ने दम तोड़ा पांचवी मौत आपस में झगड़ पड़ते हैं गोवंश कभी टूटता पैर तो कभी होते घाव
संवाद सूत्र, गंजडुंडवारा : बेसहारा गोवंश की जान बचाने के लिए गोशाला भेजा गया। मगर गोशाला में क्षमता से अधिक गोवंश का पहुंचना ही उनका काल बन रहा है। गंजडुंडवारा की गोशाला में शुक्रवार रात को एक और गाय ने दम तोड़ दिया। चार दिन में यह पांचवी मौत है। पशु चिकित्साधिकारी इनकी उम्र पूरी होने की बात कर मामला टाल रहे हैं, जबकि मरने वालों में एक बछड़ा भी शामिल है, जिसकी उम्र भी ज्यादा नहीं हो सकती।
हालांकि गंजडुंडवारा की गोरक्षिणी विद्या प्रचारिणी सभा द्वारा संचालित गोशाला में शुक्रवार रात को दम तोड़ने वाली गाय भी बूढ़ी बताई जा रही है, लेकिन एक साथ बूढ़ी गायों की मौत को संयोग नहीं कहा जा सकता है, वो भी तब, जब मरने वालों में एक बछड़ा हो। बछड़े की मौत चोट लगने से हुई थी, अन्य गायों को भी बीमारी बताई जा रही है। खुद गोशाला प्रशासन मान रहा है कि क्षमता से अधिक गाय भी मौत की वजह हैं। हालात यह हैं क्षमता से चार गुना ज्यादा गाय होने से व्यवस्थाएं छोटी पड़ गई हैं। खाने की जगह भी छोटी है, जहां पर अक्सर इनमें झगड़ा होता है। किसी के घाव हो जाता है तो किसी के अन्य चोट लग जाती है। बेजुबान होने के कारण यह अपना दर्द भी नहीं बता पाती हैं। फर्श पर इंटरलॉकिग हैं, कर्मियों की मानें तो कई बार गाय झगड़ते हुए यहां पर गिर पड़ती हैं। ऐसे में भी यह स्थिति बनती है। वहीं एक जगह कीचड़ युक्त दलदल होना बीमारियों का सबब बन रहा है।
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'गोशाला में स्थान का अभाव है। इंटरलॉकिग फर्श है। ऐसे में जब भी गोवंश आपस में झगड़ते हैं तो उनके चोट लग जाती है। एक जगह कीचड़ से भी बीमारी हो रही है। 150 गोवंश को शिफ्ट किया जाए तो व्यवस्था संभव होगी।'
-राजकुमार गुप्ता
प्रबंधक
गोशाला
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'एसडीएम एवं पशु चिकित्साधिकारी को भेजा था। उन्होंने कुछ गोवंश की उम्र अधिक (बूढ़ी) होने के संबंध में बताया था, जिनकी मौत स्वाभाविक है। गोशाला में स्थानाभाव की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो हम इसे भी दिखवाएंगे तथा व्यवस्था की जाएगी।'-योगेंद्र कुमार
अपर जिलाधिकारी
कासगंज
एक नजर
50 गोवंश की है गोशाला की क्षमता।
212 गोवंश रखने पड़ रहे गोशाला में।